दवा घोटाले के आरोपी झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप शाही, आइएएस अधिकारी व संप्रति प्रमंडलीय आयुक्त डॉ प्रदीप कुमार और पूर्व स्वास्थ्य सचिव सियाराम प्रसाद समेत 17 लोगो सीबीआई की अदालत ने आरोप तय कर दिया। सभी के खिलाफ अब मुकदमा चलेगा। आठ साल बाद हुआ आरोप तय। 130 करोड़ रुपए से अधिक का है घोटाला। जानकारी हो की राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत झारखंड के स्वास्थ्य विभाग ने 130 करोड़ से अधिक के दवा और उपकरण खरीदे थे. खरीदारी से पूर्व यह पता नहीं लगाया गया कि किस जिले को कितनी दवा चाहिए. जिलों को जरूरत से अधिक दवा भेज दी गई. इसके बावजूद लाखों रुपए की दवा और उपकरण आरसीएच के सेंट्रल वेयर हाउस में सड़ गए.आरोप है कि तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉ. प्रदीप कु नियमों को दरकिनार कर चहेतों को सप्लाई का ऑर्डर दिया . यही नहीं, सेंट्रल वेयर हाउस में स्टॉक रजिस्टर के मुकाबले 14 आइटम ज्यादा पाए गए जिनकी कीमत 13.50 लाख रुपए आंकी गई. आठ लाख रुपए के कुछ आइटम रजिस्टर के मुकाबले कम थे।
अस्पतालों के लिए मेडिकल उपकरण खरीद मामले में आरोपी पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही की क्रिमिनल रिवीजन की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में हुई. मामले में सीबीआई ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल निर्धारित की है. दरअसल, भानु प्रताप शाही ने निचली अदालत द्वारा इस मामले में डिस्चार्ज पिटिशन खारिज किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. वर्ष 2017 में निचली अदालत ने उनके डिस्चार्ज पिटिशन को खारिज कर दिया था. मामले को लेकर सीबीआई ने कांड संख्या संख्या आरसी 11 / 2009 दर्ज किया था। दरअसल, केंद्र सरकार की स्कीम मेडिकल हेल्थ मिशन के तहत वर्ष 2008 – 2009 में अस्पतालों के लिए मेडिकल उपकरण की खरीद हुई थी. इस मामले में षड्यंत्र के तहत पैसे लेने का आरोप भानु प्रताप शाही पर लगा है. उस समय भानु प्रताप झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री थे. प्रार्थी की ओर से याचिका में कहा गया है कि इस मामले में एफआईआर में इनका नाम नहीं है, लेकिन सीबीआई की चार्जशीट में भानु प्रताप का नाम शामिल है.
