झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 6800 सिपाहियों की नियुक्तियों को ठहराया सही

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झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में 6800 कांस्टेबलों की नियुक्ति को सही ठहराते हुए इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. नियुक्ति को चुनौती देते हुए सुनील टुडू एवं अन्य अभ्यर्थियों ने 65 याचिकाएं दायर की थीं, जिनपर हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई चल रही थी. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को फैसला सुनाया. अदालत ने याचिकाओं पर सभी पक्षों की बहस और सुनवाई बीते 15 मार्च को पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

हाईकोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है जिनकी नियुक्ति वर्ष 2015 में हुई थी. बता दें कि राज्य के 6800 सिपाहियों की नियुक्तियों को रिट संख्या 04/2015 के माध्यम से सुनील टुडू एवं 65 अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. पूर्व में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विज्ञापन संख्या 04/2015 के तहत नियुक्त सिपाहियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था. अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि सिपाही के पद पर नियुक्त किये गये करीब 6800 सिपाहियों को व्यक्तिगत रूप से लिखित में सूचित किया जाए कि मामले के अंतिम आदेश से आपकी नियुक्ति प्रभावित होगी.

याचिका में दी गईं ये दलीलें

झारखंड में कांस्टेबलों की नियुक्ति के लिए 2015 में विज्ञापन निकाला गया था और वर्ष 2018 में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि झारखंड सरकार की ओर से जिस नियमावली के तहत नियुक्ति की गई है, वह पुलिस मैन्युअल के विपरीत है. नियमावली में न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त लगाना भी गलत है.

आदेश से नियुक्ति प्रक्रिया होगी प्रभावित

हाईकोर्ट ने पूर्व में इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा था उसके अंतिम आदेश से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी. इसे लेकर नियुक्त कांस्टेबलों को नोटिस जारी किया गया था और उन्हें पक्ष रखने का मौका दिया गया था. इधर राज्य सरकार ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उसे यह अधिकार है कि नियमावली में बदलाव करते हुए रूल फ्रेम कर सके.

सुप्रीम कोर्ट में हेमंत सोरेन का मामला लिए सूचीबद्ध, 29 को सुनवाई

रांची/दिल्ली। लैंड स्कैम के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोपी झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की याचिका सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो गयी है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक 29 अप्रैल को शीर्ष अदालत उनके मामले में सुनवाई कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता के कोर्ट में यह मामला सूचीबद्ध हुआ है. दरअसल हेमंत सोरेन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से शीर्ष अदालत में क्रिमिनल एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) दाखिल की है.

हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था

हेमंत सोरेन ने अपनी याचिका में अदालत से गुहार लगाई है कि उनकी ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुरक्षित रखने के बाद करीब 60 दिन बीत जाने के बाद भी हाईकोर्ट ने अब तक अपना फैसला नहीं सुनाया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है. यही नहीं जेल में बंद पूर्व सीएम ने अपनी जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है. जिसपर एक मई को सुनवाई होनी है. हेमंत सोरेन और बड़गाईं अंचल के हल्का कर्मचारी भानु प्रताप फिलहाल बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं. बता दें कि हेमंत सोरेन को इस्तीफा देने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 जनवरी की रात को गिरफ्तार कर लिया गया था. वहीं इसी केस में अफसर अली, अंतू तिर्की, प्रियरंजन सहाय, विपिन सिंह और इरशाद की भी गिरफ्तारी हो चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- सहायक शिक्षक नियुक्ति का रिजल्ट बिना अनुमति के जारी ना करे सरकार व जेएसएससी

रांची/दिल्ली। झारखंड टेट (जेटेट) पास अभ्यर्थियों की ओर से सहायक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में सीटेट पास और झारखंड के पड़ोसी राज्य से टेट परीक्षा पास अभ्यर्थियों को शामिल करने की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बहस की. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और जेएसएससी को यह निर्देश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना सहायक शिक्षक (आचार्य) नियुक्ति का रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया जाए. क्योंकि फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जुलाई माह के पहले सप्ताह में सुनवाई करेगा. बता दें कि सहायक आचार्य की नियुक्ति के लिए हिंदी विषय के लिए परीक्षा शनिवार से शुरू हो रही है. दरअसल पिछले दिनों झारखंड हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्य में 26000 सहायक शिक्षकों (आचार्य) की नियुक्ति के लिए चल रही प्रक्रिया में दूसरे राज्य के टेट पास अभ्यर्थी या सीटेट पास अभ्यर्थी भी शामिल हो सकते हैं.

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