हेमंत सोरेन की लहर नहीं रोक पाए रही भाजपा

संक्रांति के बाद झारखंड भाजपा में हो सकता है बड़ा बदलाव

झारखण्ड
Spread the love

रांची: भाजपा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लहर को नहीं रोक पा रही है ।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने कामों से आने वाले समय के लिए जनता के बीच अपनी पहचान बनाने में लगातार कामयाब होते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा 20 सालों से राज्य बर्बाद करने का काम कर रही है ।सीएम ने कहा कि राज्य में कोयला सोना, चांदी, अभ्रक मौजूद है ,फिर भी झारखंड को सबसे पीछे धकेलने का काम भाजपा ने ही किया है। सीएम ने कहा कि जनता ने झारखंड को संभालने की जिम्मेदारी मुझे दी है किसी भी बाहरी को दाल यहां नहीं करने देंगे ।भाजपा लगातार हेमंत सोरेन के खिलाफ आंदोलन कर रही है , लेकिन हेमंत सोरेन के बड़े फैसले से जनता के बीच उनकी छवि बनती जा रही है।झारखंड भाजपा में बड़े सांगठनिक बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कार्यकाल पूरा होनेवाला है. बताया जा रहा हैं कि उन्हें पार्टी राष्ट्रीय संगठन में कोई दायित्व दे सकती है. भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के लिए नामित किया था लेकिन 3 वर्ष होने को हैं उन्हें अबतक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वीकार नहीं किया गया है. उनपर दल बदल का मामला चल रहा है. यही वजह है कि भाजपा अपना रणनीति बदल रही है. पार्टी विधायक दल के नेता अपने वर्तमान दायित्व से हटेंगे और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा. कहा जा रहा है कि विधायक दलनके नेता की जिम्मेवारी किसी ऐसे विधायक को मिलेगी जिसकी छवि ईमानदार और लड़ाकू किस्म की हो.

प्रदेश नेतृत्व से नाखुश है केंद्रीय नेतृत्व बताया जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व से केंद्रीय नेतृत्व नाखुश है। हाल ही में आंतरिक सर्वे में भी झारखंड भाजपा के परफार्मेंस को सही नहीं पाया गया था। पार्टी महासचिव सुनील बंसल को इसके बाद ही झारखंड भेजा गया था। वहीं, पार्टी के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी संगठन में बड़े नेताओं के बीच अंदरूनी कलह की जानकारी राष्ट्रीय मुख्यालय को दी। चाईबासा में संपन्न विजय संकल्प महौरली में आयोजन की पूरी बारीकियों पर केंद्रीय नेतृत्व की नजर थी।
आदिवासी आरक्षित सीटों पर बीजेपी को नुकसान भाजपा को आदिवासी आरक्षित सीटों पर अच्छा खासा नकसान उठाना पड़ा है। भाजपा का आदिवासा आराक्षत साटा पर अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खाते में आदिवासी आरक्षित नौ सीट आयी थी। भाजपा ने बोरियो, दुमका, घाटशिला, पोटका, खूंटी, मांडर, सिसई, गुमला और सिमडेगा सीट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खाते में सिर्फ दो आदिवासी आरक्षित सीट- खूंटी और तोरपा आर्य शेष सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी चुनाव हार गए थे।

लोकसभा में भी भाजपा ने 14 में 11 सीटें जीतीं, जिसमें आदिवासी आरक्षित सीटों में दुमका, खूंटी और लोहरदगा भाजपा के खाते में आयी, जबकि चाईबासा में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ अपनी सीटिंग सीट हार गए थे।
दो साल पहले राज्य में सरकार गंवा चुकी भाजपा नए प्रदेश अध्यक्ष के जरिए जातीय और सामाजिक संतुलन को भी साधना चाहेगी। पार्टी ओबीसी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए ही नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय करेगी। आदित्य साहू और राकेश प्रसाद पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इसके जरिए पार्टी वैश्य समुदाय को संदेश देने की कोशिश करेगी। पिछले विधान सभा चुनाव में पलामू प्रमंडल के प्रभारी के तौर पर आदित्य साहू ने पार्टी को सफलता भी दिलाई थी। वहीं राकेश प्रसाद बीस सूत्री समिति के उपाध्यक्ष रहे। मौजूदा प्रदेश कमेटी में शामिल प्रदीप वर्मा के समर्थकों को भी उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने की उम्मीद है। दो साल पहले विधायक दल के नेता के तौर पर बाबूलाल मरांडी और प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की नियुक्ति की घोषणा एक दिन के अंतराल पर हुई।
मालूम हो कि झारखंड भाजपा ने एक अहम बदलाव करते हुए संगठन मंत्री की जिम्मेदारी कर्मवीर सिंह को सौंप दी है। वह आरएसएस के प्रचार रहे हैं। दस साल बाद आरएसएस के प्रचारक की यहां इस पद पर तैनाती की गई है। पार्टी की यह समझ है कि आरएसएस प्रचारक होने के नाते संगठन को वह मजबूती प्रदान कर सकते हैं। कर्मवीर सिंह पहले यूपी भाजपा के सह संगठन मंत्री रह चुके हैं। मजबूत संगठन क्षमता के कारण ही उन्हें यहां भेजा गया है। कर्मवीर सिंह यूपी चुनाव में जाट बहुल क्षेत्रों में पहले भाजपा के लिए काम कर चुके हैं। यहां आदिवासी वोटरों में पैठ बनाना उनका मुख्य लक्ष्य हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *