कोटा सांसद निशिकांत दुबे आदिवासी नेता पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर अखिलेश सामंतवादी सोच का परिचय दे रहे हैं।
गंभीर मुद्दे पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा एक भी शब्द लिखने-बोलने के बजाय यह ट्वीट किया जाना कि बिहार में पिछले 32 वर्षों से पिछड़े वर्ग के लोगों का ही शासन है. विषय सोचनीय है. उनका यह बयान जहां एक तरफ भाजपा की पिछली सरकार से पल्ला झाड़ने का प्रयास भर है. वहीं दूसरी तरफ सामंतवादी सोच को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है. और सामाजिक मंच पर सवाल खड़ा करता है कि आखिर सामंतवाद को ओबीसी सरकार व समाज क्यों खटकता है?
गोड्डा के संसद बाबा समझते हैं कि उनके फर्जी डिग्री की भांति झारखण्ड के मूलवासियों का ज्ञान व अनुभव भी फर्जी है. गोड्डा बाबा को पता होना चाहिए कि शिक्षा के आभाव में झारखंडियों के मूलवासियों को अँधेरे में रखा जा सकता लेकिन बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है. ज्ञात हो, गोड्डा सांसद के द्वारा झारखंडियों को भ्रमित करने के लिए फिर से एक नया शिगूफा छोड़ा गया है. उनके द्वारा कहा गया है कि बीजेपी झारखण्ड के जल, जंगल- ज़मीन की रक्षा करेगा.
ज्ञात हो, झारखण्ड में पूर्व के बीजेपी की डबल इंजन सत्ता में सुरक्षा कवच सीएनटी/एसपीटी क़ानून को समाप्त करने की शाजिस केंद्र के साथ मिलकर न केवल रचा गया था, इस दिशा में कदम भी उठाए गए थे. लेकिन, तब विपक्षी नेता रहे हेमन्त सोरेन के अगुवाई में झारखण्ड के मूलवासियों के द्वारा बड़ा आन्दोलन छेड़ा गया. सभी सड़क से सदन तक आन्दोलन कर बीजेपी के शाजिस का पुरजोर किया. इसके बाद ही उस सत्ता ने अपने कदम वापस लिए थे.
ज्ञात हो, झारखण्ड की हेमन्त सत्ता के अथक प्रयास से 1932 वर्ष आधारित स्थानीय नीति विधेयक विधानसभा से पारित कर 9वीं अनुसूची में भेजा गया. लेकिन, इसे रोकने हेतु विपक्ष के द्वारा पिछले दरवाजे सेकई हथकंडे अपनाए गए. बीजेपी सर्वदलीय शिष्टमंडल में भी शामिल नहीं हुई. खुद गोड्डा सांसद ने इसके विरुद्ध बयान दिए. सोशल मिडिया पर साहब की भरी किकरी हुई. ऐसे में इन्हें बताना चाहिए सीएनटी/एसपीटी ख़त्म कर बीजेपी कैसे झारखण्ड की जल, जंगल, ज़मीन की रक्षा करेगी.