हेमंत सरकार नई नियोजन नीति पर युवाओं की राय के मुताबिक आगे बढ़ेगी। मुख्यमंत्री ने शीतकालीन सत्र में कहा था कि जैसा युवा चाहेंगे वैसी नियोजन नीति बनाएंगे। इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री की ओर से अभ्यर्थियों और युवाओं से उनकी राय ली जा रही है। एसएमएस और ऑडियो कॉल से युवाओं से संपर्क कर सरकार किस ओर कदम बढ़ाए पूछा जा रहा है। मुख्य रूप से जेएसएससी की ओर से रिक्तियां भरने वाले अभ्यर्थियों के मोबाइल पर 600025 नंबर से मैसेज भेज पूछा जा रहा है कि नियोजन नीति एवं नियुक्ति प्रक्रिया पर आपकी राय जानना चाहते हैं।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष दिसंबर माह में झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सरकार द्वारा फरवरी 2021 में बनाई गई नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने नियोजन नीति रद्द करते हुए टिप्पणी की थी कि इसमें अनुच्छेद 14 और 16 का खुला उल्लंघन किया गया है जो समानता को पारिभाषित करता है। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी नियोजन नीति में उल्लिखित उस प्रावधान पर था जिसके मुताबिक प्रदेश में तृतीय और चतुर्थवर्गीय नियुक्तियों में झारखंड से ही 10वीं और 12वीं पास करने की अनिवार्यता की बात कही गई थी।झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान नियोजन नीति रद्द होने को लेकर खूब हंगामा हुआ था। बीजेपी ने जहां नियोजन नीति को फर्जी बताते हुए विधानसभा में सरकार को घेरा तो वहीं हजारों की संख्या में बेरोजगार युवाओं ने सड़क पर उतरकर विरोध जताया। तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन और सार्वजनिक भाषणों में कहा था कि युवा जैसा चाहेंगे नियोजन नीति वैसी ही बनेगी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि नियोजन नीति बनाने में युवाओं की राय ली जाएगी। हालांकि, उन्होंने रद्द हुई नियोजन नीति को युवाओं के हित में बताया था।
मालूम हो कि दिसंबर माह में नियोजन नीति गौरतलब है कि पिछले वर्ष दिसंबर माह में झारखंड हाईकोर्ट हेमंत सरकार द्वारा फरवरी 2021 में बनाई गई नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने नियोजन नीति रद्द करते हुए टिप्पणी की थी कि इसमें अनुच्छेद 14 और 16 का खुला उल्लंघन किया गया है समानता को पारिभाषित करता है। नियुक्तियों में झारखंड से ही 10वीं और 12वीं पास करने कीहाईकोर्ट की यह टिप्पणी नियोजन नीति में उल्लिखित उस प्रावधान पर था जिसके मुताबिक प्रदेश में तृतीय और चतुर्थवर्गीय नियुक्तियों में झारखंड से ही 10वीं और 12वीं पास करने की अनिवार्यता की बात कही गई थी।
माननीय मुख्यमंत्री नियोजन नीति (झारखंड नियोजन नीति ) एवं नियुक्ति प्रक्रिया पर आपकी राय जानना चाहते हैं. इस विषय पर आपसे जल्द ही संपर्क किया जाएगा. मोबाइल पर इस संदेश के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिकार्डेड आवाज वाली काल आती है, जिसमें वे सवाल करते हैं हम हाईकोर्ट – के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दें या जबतक 1932 के खतियान पर आधारित नियोजन नीति और पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण नीति के विषय को नौंवी अनुसूची में संरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक के लिए 2016 से पहले की नियोजन नीति को बहाल करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं? क्या पूर्व की नियोजन नीति के आधार पर भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की ?
अपना उत्तर हां या नहीं में दें.
सरकार की यह अनूठी कवायद स्थानीयता नीति निर्धारण के लिए की जा रही है. हाई कोर्ट से स्थानीयता से संबंधित विधेयक वापसी के बाद सरकार कदम आगे बढ़ाने के पहले उन युवा अभ्यार्थियों की सलाह ले रही है, जिन पर इस फैसले का सीधा प्रभाव पड़ेगा. यह सलाह उन युवाओं से ली जा रही है, जिन्होंने राज्य कर्मचारी चयन आयोग के तहत विभिन्न पदों के लिए निकाली ई बहालियों के लिए आवेदन दिया है. स्थानीयता के गंभीर मुद्दे और राज्य के बड़े राजनीतिक विषय पर आम लोगों से राय लिए जाने की इस प्रक्रिया पर जमकर चर्चा हो रही है. हेमंत सरकार युवाओं के अनुसार कर रही है नियोजन नीति की तैयारी, बजट सत्र में आ सकती है नई नियोजन नीति
राज्य सरकार 2016 से पहले की नीति पर भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रही है. 2016 से पहले की नीति के तहत नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापनों में 50 प्रतिशत पद आरक्षित होते थे. बाकी 50 प्रतिशत (झारखंडी और गैर-झारखंडी) के लिए ओपेन था.
