लोकतंत्र के मंदिर से दिए सीएम हेमंत सोरेन का संदेश झारखंडी जनमानस का भविष्य तय करेगा।

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रांची। झाऱखंड विधानसभा का मानसून सत्र-2023 भले ही सीमित चला, लेकिन एक यादगार बन कर इतिहास के पन्ने में दर्ज हुआ। सरकार ने पूरी तैयारी के साथ सत्र में विधायी कार्यों को निपटाया। जनता के हित में कई महत्वपूर्ण विधेयक पास कराए गए। विपक्ष (भाजपा और आजसू) के हर सवाल का सत्ता पक्ष ने जवाब दिया। साजिश को फेल किया गया। भाजपा विधायकों का चाल-चरित्र सामने आया। इन सब बात से अलग सबसे महत्वपूर्ण बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का वह संदेश रहा, जो राज्य के युवाओं के हित में था। यह संदेश भविष्य में झारखंडियों के हक और अधिकार की रूपरेखा तय करेगा। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर भाजपा की अंदरूनी कलह की भी चर्चा मीडिया में सूर्खियां बटोरती रही।

सीएम का संदेश – झारखंडियों को ही रोजगार, स्वरोजगार और भविष्य को सुरक्षित करना।

विश्लेषण सबसे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संदेश की। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में दो बातों का जिक्र किया।
पहला – वे गारंटी देते हैं कि सिर्फ और सिर्फ झारखंडियों को ही रोजगार और स्वरोजगार देंगे। संदेश से साफ है कि भाजपा नेता कितनी भी साजिश कर लें, हेमंत सरकार 1932 के खतियान को स्थानीय नीति का आधार बना कर रहेगी।
दूसरा – वे झारखंड के युवाओं का भविष्य सुरक्षित रखना चाहते हैं। कतिपय कुछ राज्यविरोधी शक्ति हर बार प्रतियोगिता परीक्षा पेपर लीक करते हैं। चंद व्यक्तियों की सजा लाखों झारखंडियों को क्यों मिले। इसके लिए नकल विरोधी कानून विधानसभा से पारित कराया गया।

आदिवासी युवक की हत्या पर राजनीतिक रोटी नहीं सेंक पायी भाजपा।

मानसूत्र सत्र में भाजपा ने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था का अनर्गल मुद्दा उठाया। विशेषकर आदिवासी युवक सुभाष मुंडा की हत्या पर राजनीतिक रोटी सेंकने से भाजपा नेता पीछे नहीं देखे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने पीड़ित के परिजनों को विधानसभा स्थित अपने कक्ष में बुलाकर न केवल हर संभव सहयोग देने का भरोसा दिया बल्कि पकड़े गए अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की भी बात की।

नेता प्रतिपक्ष चुनने में भाजपा की अंदरूनी कलह की हो रही थी चर्चा।

चलते सत्र में भाजपा विधायक जहां हेमंत सरकार को घेरने में एकजुटता का ढोंग रच रहे थे, वहीं, मीडिया मे यह बात चर्चा का केंद्र बिंदु रही कि नेता प्रतिपक्ष चुनने में भाजपा के अंदर अंदरूनी कलह हुई है। पिछले साढ़े तीन सालों से प्रदेश भाजपा बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग पर अड़ी रही। अब जब बाबूलाल प्रदेश अध्यक्ष बन चुके हैं तो नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा, इस लेकर भाजपा के अंदर आपसी सहमति नहीं बन पायी।

भाजपा के विरोध का युवाओं और अभ्यर्थियों का नहीं मिला समर्थन, खुले मन से सरकार के निर्णय का स्वागत।

अब विधायी कार्यों की बात। मानसून सत्र में हेमंत सरकार ने ऐसे कई विधेयकों को पास कराया, जो झारखंड का भविष्य तय करेगा।
1 – प्रतियोगिता परीक्षा बिना किसी साजिश हो सके, इसके लिए नकल विरोधी कानून पास कराया गया। भाजपा ने विधेयक के विरोध कर सदन से सड़क तक आंदोलन की चेतावनी दी। लेकिन युवाओं और अभ्यर्थियों को भाजपा को सहयोग नहीं मिल पाया। अभ्यर्थियों ने को खुले में हेमंत सरकार के इस पहल का स्वागत किया।
2 – विधानसभा से इस बार महिला अधिकारों को भी बल मिला। सदन से कारखाना संशोधन बिल पास किया गया। अब महिलाएं भी शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक कारखानों में काम कर सकेगी।
3 – सरकार ने इस बात को पुख्ता कर दिया कि जातीय जनगणना पर विचार किया जा रहा है। विधानसभा से प्रस्ताव पास कर इसे केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी हो रही है।

सरकार के सवालों का जवाब देने में भी भाजपा नेता रहे पीछे।

सदन में सरकार के कई सवालों का भी भाजपा नेता जवाब नहीं दे पाएं। राज्य सरकार द्वारा पारित 1932 के खतियान आधारित विधेयक, एसटी-एससी-ओबीसी वर्ग के आरक्षण बढ़ाने के विधेयक को किस साजिश के तहत रोका गया, इसका जवाब भाजपा विधायक नहीं दे पाए।

भाजपा विधायकों का चाल-चरित्र आया सामने।

चलते सत्र में कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी के एक बयान पर भाजपा नेताओं ने जमकर तांड़व किया। यहां तक कि सदन की गरिमा को तार-तार कर सदस्य पर हाथ उठाने से भी भाजपा विधायक शशिभूषण मेहता पीछे नहीं रहे। इरफान अंसारी ने खुले मन से अपने बयान पर माफी तो मांग ली, लेकिन भाजपा विधायकों ने शशिभूषण मेहता के हरकत पर कोई खेद व्यक्त नहीं किया।

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