स्मार्ट मीटर से अधिक बिल आने की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. इससे परेशान कंज्यमूरों ने एक जनसुनवाई का आयोजन रांची विद्युत उपभोक्ता मंच के द्वारा किया गया. अंजुमन प्लाजा में आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित अधिकांश लोगों ने स्मार्ट मीटर लगने के बाद अधिक बिल आने की शिकायतें की और मांग उठी कि केरल की तर्ज पर रांची में सरकार स्मार्ट मीटर को रोल आउट करे. जनसुनवाई के माध्यम से स्मार्ट मीटर की थर्ड पार्टी जांच कराने, पुराने ही मीटर को लगाने, बिजली टैरिफ कम करने, 200 यूनिट तक फ्री बिजली देने, बिजली कनेक्शन रेट कम करने, बिजली से हुई मौत पर मुआवजा देने की मांग की गई. इस जनसुनवाई में हिंदपीढ़ी, लोअर बाजार, चुटिया, डोरंडा, हातमा, कोकर, पुंदाग, कांटा टोली, मेन रोड आदि क्षेत्रों के कंज्यूमरों से हिस्सा लिया. जनसुनवाई के सात सदस्यीय ज्यूरी में राज्य स्तरीय मजदूर नेता भुनेश्वर केवट,सरना समिति रांची के लक्ष्मी नारायण मुंडा,सरना समिति रांची की आदिवासी महिला नेत्री निरेन्ज़ाना हेरेंज टोप्पो, एआईपीएफ झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ता नदीम खान,महिलानेत्री यासमीन लाल,झारखंड आंदोलनकारी के संयोजक पुष्कर महतो,फूटपाथ दुकानदार नेता विनय कुमार दास को बनाया गया.
ज्यूरी ने फैसला सुनाया कि 10 दिनों के अंदर केरल सरकार की तर्ज़ पर स्मार्ट मीटर को रोल आउट करें, वरना बाध्य होकर बिजली उपभोक्ता आंदोलन करने पर विवश होंगे. आंदोलन के अंतिम चरण में बिजली उपभोक्ता खुद से ही अपने घरों में लगे स्मार्ट मीटर को उखाड़ कर बिजली मुख्यालय में जमा कर देंगे.
सबसे पहले स्मार्ट मीटर कारखाना, फैक्ट्री एवं मॉल में लगाया जाए
रांची के बिजली उपभोक्ताओं ने कहा कि जब से स्मार्ट मीटर लगा है तब से 3 से दस गुना बिजली बिल बढ़कर आ रहा है,जो हमलोगों पर जुल्म है,जिसकी पूर्ति हम नहीं कर सकते.
रांची के 150 से ऊपर बिजली उपभोक्ता जनसुनवाई में आए. 50 से ऊपर पुरुष, महिला और वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी पीड़ा को रखा. जनसुनवाई के बाद जनसुनवाई में पीड़ितों के पक्ष और बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा पीड़ितों को अनसुना करने पर ज्यूरी ने कहा कि गरीबों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला एक तरफा और जनविरोधी है. राज्य सरकार को स्मार्ट मीटर लगाने की बाध्यता ही है तो सबसे पहले कारखाने, फैक्ट्री, मॉल, थानों, सरकारी कार्यालय आदि में ही लगाने की शुरुआत होती.