एमसीडी चुनाव हारने पर दिल्ली अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा। झारखंड में चार-चार उपचुनाव हारने के बाद भी दीपक प्रकाश पद छोड़ने की नहीं सोच रहे

झारखण्ड
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दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कार्यकाल अगले साल जून तक था , बावजूद इसके बदली परिस्थितियों और मिशन 2024 को देखते हुए आदेश गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया। आदेश गुप्ता के इस्तीफे के बाद जल्द ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में नए चेहरे को लाने की राह साफ हो गई है। इससे पहले निगम चुनावों में हार को लेकर गुप्ता ने कहा था कि भाजपा एक मजबूत विपक्ष बनकर दिल्ली के लोगों की सेवा करेगी

दीपक प्रकाश झारखंड में बीजेपी के जड़ से खत्म होने का कर रहे इंतजार ?

दिल्ली के विपरित झारखण्ड बीजेपी में दीपक प्रकाश उल्टी गंगा बहा रहे है , झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में बीजेपी चार चार उपचुनाव हार चुकी है लेकिन बावजूद इसके प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को कोई फर्क नहीं पड़ रहा , और चार चार बार मुंहकी खाने के बाद भी उलुल जुलूल बयानों में सिर्फ लगे रहते है , यहां तक कि दीपक प्रकाश के नेतृत्व में झारखंड बीजेपी लगातार कमजोर ही होती दिख रही है I जहां विपक्ष का कार्य होता है कि वह सरकार की कमियों को दिखाए उन्हे बाहर लाना , जनहित के जुड़े मुद्दों को सरकार के सामने लाकर सरकार से काम करवाना , जनता की आवाज उठाना वहीं भाजपा हर मोर्चे पर विफल नजर आ रही है I सरकार के सामने जनहित के मुद्दे लाने ओर जनता की आवाज उठाने के बजाय झारखंड में बीजेपी बस येन केन तरीके से सरकार को बस अस्थिर करने में लगी है , है तरह की संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल कर सरकार गिराने का भी आरोप मौजूदा सरकार बीजेपी में लगातार लगा रही है , फिर चाहे ईडी ए आईटी से जुड़े मामले हो या अन्य मामले , और इन सेक्टरों में भी भाजपा लगातार विफल ही साबित हो रही है I मौजूदा सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घेरने वाली भाजपा जिन जिन लोगो को लेकर टारगेट कर रही है , दांव उल्टा ही पड़ जा रहा है , सभी के पेंच जाकर पिछले सरकार से ही जुड़ जा रहे है , इससे भाजपा में खुद एक डर का माहौल व्याप्त हो चुका है I
दिल्ली अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एमसीडी चुनाव के हारते ही अपने इस्तीफा का ऐलान कर यह बता दिया है कि वो विफल हो चुके है और मुझसे नहीं होगा किसी ओर को सामने लाया जाए जो मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने में भाजपा को मदद कर सके ठीक झारखंड आध्यक्ष दीपक प्रकाश को भी उसी तरह चार चार उपचुनाव हारने के बाद पार्टी की गरिमा बनी रहे इसी नाते किसी और को मौका देना चाहिए था लेकिन बावजूद इन सब के वे हठधर्मी में लगे हुए है और लगातार बीजेपी को अपने नेतृत्व से झारखंड में कमजोर कर रहे है , और इसका असर आने वालें झारखंड के चुनावो में पड़ेगा I

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