क्या बाबुलाल मरांडी स्वयं को सुप्रीम कोर्ट से भी अधिक ज्ञानी मानते हैं?

झारखण्ड राज-नीति
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झारखंड में दल बदल का मामला दिलचस्प होता जा रहा है. दल बदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने बाबूलाल मराडी को नोटिस जारी किया था. इस नोटिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. वहीं अब हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है. अब देखना अहम होगा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश आता है. फिलहाल अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर है.
इधर इस मामले में हाई कोर्ट से आदेश आने के बाद बाबूलाल मरांडी की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की गई है. उन्होंने पूर्व में ही यह याचिका दायर कर अपनी तैयारी विधानसभा अध्यक्ष को दिखा दी थी. दल बदल मामले स्पीकर ट्रिब्यूनल की ओर से उन्हें जो नोटिस दिया गया है। उसके खिलाफ वह किसी भी अदालत में जाने के लिए तैयार हैं.
हाई कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस पर तत्काल रोक लगाते हुए उन्हें 13 जनवरी तक जवाब पेश करने को कहा है. इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. देखना अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट से क्या आदेश आता है. बता दें कि झारखंड विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दल बदल मामले में 10वीं अनुसूची के अंतर्गत बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी किया गया था. बाबूलाल मरांडी पिछले साल जेवीएम से चुनाव जीतकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके बाद झारखंड के स्पीकर ने उन्हें नोटिस जारी किया था. बाबूलाल मरांडी ने नोटिस को हाई कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि स्पीकर को खुद संज्ञान लेकर नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है. बता दें कि 17 फरवरी 2020 जेवीएम का बीजेपी में विलय हो गया था. जेवीएम के टिकट पर 3 विधायक जीते थे, लेकिन सिर्फ मरांडी ही बीजेपी में शामिल हुए थे, बाकी दो विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे. बीजेपी के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद मरांडी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मांग रहे हैं. लेकिन इस विलय पर सवाल उठाते हुए स्पीकर ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया है. बता दें कि बाबूलाल मरांडी ने पहले जेएमएम सरकार को ही समर्थन दिया था वो बाद में बीजेपी में शामिल हुए.

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