चंद नेताओं के निजी स्वार्थ के चलते 60-40 के चक्कर में युवा अपने भविष्य के साथ खेल रहे

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झारखंड में नयी नियोजन नीति को लेकर युवा आंदोलन के मूड में हैं। ट्वीट पर झारखंडी युवाओं का विरोध ट्रेंड कर रहा है। हैश टैग के साथ ’60_40_नाय_चलतो ट्रेंड कर रहा है। अब तक तीन लाख से ज्यादा ट्वीट हो चुके हैं और यह भारत में दूसरे नंबर पर ट्रेंड कर रहा है। एग्जाम फाइटर ने ट्वीट कर लिखा, मुख्यमंत्री जी ये 60 और 40 की भ्रम की स्थिति को समाप्त करिए । छात्र मजबूरन आवाज उठाने को विवश है। कोई नहीं चाहता की वो पढ़ाई के बदले सोशल मीडिया और सड़क पे लड़ाई करे ।। अतः आपसे निवेदन है की आप इस भ्रम की स्थिति को समाप्त करे। अभ्यर्थियों का कहना है कि इस नयी नियोजन नीति का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हेमंत सरकार की इस नयी नीति से 40 फीसदी बाहरी लोगों को रोजगार मिलेगा और स्थानीय लोग बेरोजगार रह जायेंगे। राज्य के युवा अपने यहां नौकरी नहीं कर सकेंगे। इस नीति का विरोध करते हुए युवा कई मीम्स भी शेयर कर रहे हैं।
भाजपा कर रही है युवाओं का समर्थन भारतीय जनता पार्टी ने भी इस ट्रेंड को शेयर करते हुए लिखा है, इस ट्वीट को कई भाजपा नेताओं ने रिट्वीट किया है। युवा सरकार से राज्य में खतियान आधारित नियोजन निति लागू करने की मांग कर रही है। राज्य सरकार ने ऑडियो कॉल सर्वे के आधार पर नियोजन नीति को लेकर फैसला लिया। करीब 8 लाख युवाओं की राय लेने के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर
पहुंची कि वर्ष 2016 की नियोजन नीति को लागू किया जाना चाहिए।
कुछ राजनीतिक दलों द्वारा साजिश कर छात्रों को भड़का कर सरकार के द्वारा किए गए संशोधन से संतुष्ट नहीं दिखा रहे हैं. नियोजन नीति में झारखंड के मूलवासियों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए छात्रों ने ट्विटर पर अभियान चलाया. जिसमें लाखों छात्र जुड़े. छात्र खतियान आधारित नियोजन नीति की मांग कर रहे.
नियोजन नीति में संशोधन कर झारखंड के युवाओं के साथ अन्याय किया है. जब तक स्थानीय नीति तय नहीं होती है तब तक इस नियोजन नीति को बनाने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने हेमंत सरकार के नियोजन नीति में 60:40 के अनुपात पर असहमति जताई. इस नीति से बाहरी लोगों का प्रवेश नौकरियों होगा. ट्विटर अभियान में बड़ी संख्या में राज्यभर से जुड़े युवाओं ने अपनी अपनी बात रखी. सरकार के फैसले का विरोध किया. छात्रों का मानना है कि सरकार सिर्फ नौकरी के नाम पर युवाओं को छलने का काम करती रही है. इस वजह से आज भी युवा सड़कों पर हैं. लंबे समय से नियुक्ति प्रक्रिया लटकी हुई है. सरकार की नीयत साफ नहीं है.
नीति स्पष्ट नहीं होने से युवा परेशान: झारखंड में नियोजन नीति के झमेला में यहां के युवा फंसते रहे हैं. राज्य गठन के बाद से अब तक तीन बार नियोजन नीति बन चुकी है. जब जिसकी सरकारें रही नियोजन नीति अपने हिसाब से बनती रही. सबसे पहले राज्य गठन के बाद बाबूलाल मरांडी क को अनुसूचित क्मगर ऐसे में छात्र आक्रोशित हैं. और इसे बताने में कुछ राजनीतिक दल के नेता भूमिका निभा रहे हैं।
फिलहाल राजनीतिक षडयंत्र के तहत सारा तमाशा हो रहा है, जिन्होंने आज तक राज्य के युवाओं के लिए कुछ नहीं किया, वे अभी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि झारखंड के विभिन्न जिलों में खतियान आधारित नियोजन नीति समर्थक युवा राज्य सरकार की ओर से युवाओं की राय लेकर बनायी नियोजन नीति का विरोध कर रहे हैं। अब इसमें कोई संशय नहीं कि नियोजन निति का जो विरोध हो रहा है उसके पीछे कुछ राजनीतिक दलों का हाथ है। ये राजनीतिक दल न केवल नियोजन निति की वापसी की मांग कर रहे हैं, बल्कि झूठ का सहारा लेकर युवाओं को बरगला रहे हैं।
बीजेपी समेत अन्य विपक्षी दल इस के विरोध में जिस तरह खुलकर खड़े हो गए हैं उससे इस संदेह को बल युवाओं को बहका कर सड़को पर उतारा।

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