झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सिर्फ कुछ लोगों के कारण पूरी चिकित्सा बिरादरी को दोष नहीं दिया जा सकता है या उनकी ईमानदारी या क्षमता में कमी के रूप में ब्रांडेड नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने कहा, यह सच है कि चिकित्सा पेशे का एक हद तक व्यवसायीकरण हो गया है और ऐसे कई डॉक्टर हैं, जो सिर्फ पैसे कमाने के लिए काम करते हैं.
ये है पूरा मामला
दरअसल डॉ. विजय कुमार साहिबगंज में सूर्या नर्सिंग होम के नाम से अपना क्लीनिक चलाते हैं. जिसमें मोहम्मद मुखलेशर (रहमान के पिता) को भर्ती कराया गया और हॉर्निया का सफल ऑपरेशन हुआ. जिसके बाद मरीज को वार्ड में लाया गया. मरीज के परिजन उसके होश में आने का इंतजार कर रहे थे. अचानक डॉक्टर को सूचना मिली कि रहमान के पिता की हालत बिगड़ती जा रही है. वह अस्पताल पहुंचे और रोगी की जांच की तो पाया कि मरीज की मौत हो चुकी है. जिसके बाद मरीज के परिजनों ने डॉक्टर पर केस कर दिया. जिसे रद्द कराने के लिए डॉक्टर विजय कक्कर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने साहिबगंज के डॉ. विजय कुमार के खिलाफ दायर आपराधिक मामले को खारिज करते हुए कहा कि “यह सर्वविदित है कि डॉक्टर द्वारा किए गए सर्वोत्तम प्रयास के बावजूद वे कभी-कभी सफल नहीं होते हैं और इसका मतलब यह नहीं है कि डॉक्टर को दोषी ठहराया जाना चाहिए”. डॉक्टर की ओर से हाईकोर्ट में अधिवक्ता पांडेय नीरज राय ने पक्ष रखा.