सदर अस्पताल की सुपरस्पेशियलिटी सेवा में नई कड़ी जुड़ती जा रही है. इसी के तहत यहां के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में नए साल में एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियो पैंक्रेटोग्राफी (ईआरसीपी) की सुविधा मरीजों को मिलनी शुरू हो जाएगी. अस्पताल के पदाधिकारी और चिकित्सकों की टीम ने विभाग का जायजा लिया और इसकी शुरुआत को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए. बता दें कि ईआरसीपी की जरूरत वैसे मरीजों को पड़ती है, जिनके गॉलब्लाडर (पित्ताशय) में पथरी की समस्या हो. साथ ही पित्त नलिकाएं और लिवर (यकृत) में समस्या हो. इस विधि द्वारा आसानी से स्टोन को बाहर निकाला जाता है. रिम्स में भी इसकी सुविधा मरीजों को नहीं मिलती. शहर के चुनिंदा निजी अस्पतालों में ही ईआरसीपी होती है. जिसके लिए मरीजों को 40 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं.
कब पड़ती है ईआरसीपी की जरूरत
ईआरसीपी से पित्ताशय ही नहीं, बल्कि सामान्य नली में फंसी पित्त की पथरी को निकालने के लिए भी किया जाता है. वहीं जब किसी भी व्यक्ति की अग्नाशय या पित्त की नली सिकुड़ जाती है या अवरुद्ध हो जाती है, तब स्टेंट प्लेसमेंट के लिए भी ईआरसीपी की जरूरत पड़ती है. पित्त एंडोस्कोपिक स्फिंक्टेरोटॉमी-अग्नाशय, पित्त रस और छोटे पित्त पथरी की उचित जल निकासी में मदद करने के लिए सामान्य पित्त नलिका और अग्नाशय वाहिनी में इसका उपयोग किया जाता है.
क्या कहते है सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार
रांची जिले के सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल राज्य का एक मात्र ऐसा अस्पताल है, जहां सुपर स्पेशियलिटी सेवा का संचालन होता है. नए साल में ईआरसीपी की शुरुआत होने से पेट की समस्या से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पताल में जाने से छुटकारा मिलेगा. मरीजों के पैसे की बचत भी होगी.