झारखंड में झामुमो की अगुवाई वाली सरकार ने अपने तीन साल पूरे कर लिए हैं. आदिवासियों- मूलवासियों के हक और जल, जंगल, जमीन से जुड़े मुद्दों पर संघर्ष के मूल से उपजी इस पार्टी को पहली बार कायदे से सत्ता का खाद-पानी हासिल हुआ. यह कहने-मानने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि पावर एक्सरसाइज की बदौलत वह अपने अब तक के इतिहास में आज सबसे मजबूत स्थिति में है.
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जो राज्य के मुख्य्मंत्री भी हैं, तमाम मुश्किलों और चुनौतियों के बीच भी सियासी पिच पर आक्रामक बैटिंग कर रहे हैं. 2023 में भी वह इसी पोजिशन पर डटे रहने की कोशिश करेंगे क्योंकि 2024 में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारियों की दृष्टि से यह साल बेहद अहम साबित होने वाला है. पार्टी की जो मौजूदा पोजिशन है, उसके एडीजी
आधार पर भविष्य के लिए अच्छे सीट की संभावनाएं जरूर दिख रही हैं, लेकिन यह भी सच है कि नेतृत्व की एक भी बड़ी सियासी चूक उसे पीछे भी धकेल सकती है। 2019 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जेएमएम की अगुवाई में पांचवीं बार सरकार बनी और हेमंत सोरेन दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. जेएमएम की ये अब तक की सबसे लंबी चलने वाली सरकार है, लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि इस सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन को अपने राजनीतिक जीवन के सबसे मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है. बीजेपी समय-समय पर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के रास्ते में अवरोध लाकर उन्हें परेशान करने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी सीबीआई, इनकम टैक्स, मनी लांड्रिंग के मामले में फंसाकर हेमंत सोरेन को उलझा रखना चाहती है। कई बार तो कुर्सी अब गई कि तब गई वाली हालत बनती दिखी. लेकिन, इन तमाम मुश्किलों के बीच उन्होंने सियासी मोर्चे पर शानदार स्कोर किया. वर्ष 2023 में भी हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी के लिए कानूनी मोर्चे पर चुनौतियां बनी रहेंगी. खनन पट्टा, सोरेन की संपत्ति की जांच जैसे मामले उलझा रखा है।
हेमंत सोरेन ऐसी चुनौतियों का सामना करने को तैयार दिखते हैं. उन्होंने कहा, “इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले दिनों में ईडी मुझे भी गिरफ्तार कर ले. षड्यंत्रकारी ताकतों ने जब मेरे पिता शिबू सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था तो मैं किस खेत की मूली हूं.””लेकिन मैं ऐसे षड्यंत्रों से नहीं घबराता. आदिवासी के इस बेटे को डराने की कोई भी साजिश सफल नहीं होगी. जब बीजेपी राजनैतिक स्तर पर हमसे।लड़ नहीं पा रहे हैं तो, हमारे पीछे ईडी- सीबीआई को लगा दिया गया है. लेकिन हमें अपने काम और जनता पर विश्वास है। मनी लांड्रिंग में ईडी की जांच में अभी कई पन्ने खुलने बाकी हैं।जब बीजेपी राजनैतिक स्तर पर हमसे लड़ नहीं पा रहे हैं तो, हमारे पीछे ईडी- सीबीआई को
लगा दिया गया है. लेकिन हमें अपने काम औरजनता पर विश्वास है. हमने बीजेपी को पहले ही
राज्य में हाशिए पर पहुंचा दिया है.” दरअसल, यह
है कि कि हेमंत सोरेन की सरकार द्वारा बीते कुछ महीनों में लिए गए जनप्रिय फैसलों की बदौलत झामुमो ने राज्य में सियासी तौर पर कम्फर्ट बढ़त हासिल कर ली है. झारखंड में 1932 के खतियान (भूमि सर्वे) पर आधारित डोमिसाइल पॉलिसी, ओबीसी-एसटी- एससी आरक्षण के प्रतिशत में वृद्धि, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का विस्तार न देने की तीस वर्ष पुरानी मांग पर सहमति, राज्यकर्मियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम, आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं के वेतनमान में इजाफा, पुलिसकर्मियों को प्रतिवर्ष 13 माह का वेतन, पारा शिक्षकों की सेवा के स्थायीकरण, सहायक पुलिसकर्मियों के अनुबंध में विस्तार, मुख्यमंत्री असाध्य रोग उपचार योजना की राशि पांच लाख से बढ़ाकर दस लाख करने, पंचायत सचिव के पदों पर दलपतियों की नियुक्ति जैसे फैसलों से सरकार ने अपनी लोकप्रियता का सेंसेक्स बढ़ाया है.