बैंकमोड़ थाना क्षेत्र के विकास नगर में 12 दिसंबर 2022 की आधी रात को स्कॉर्पियो में नया बाजार निवासी कोयला कारोबारी शाहबाज सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. घटना के 8 महीने बाद भी गाड़ी की फॉरेंसिंक जांच तक नहीं की गई, जबकि अधिकतर बड़ी घटना में पुलिस फोरेंसिक टीम से जांच कराती है. मृतक के पिता सेवानिवृत्त रेलकर्मी शमशाद सिद्दीकी की लिखित शिकायत पर पुलिस ने बैंकमोड़ थाना में कोयला कारोबारी विकास नगर निवासी पप्पू मंडल समेत पांच नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर की थी.
एक भी आरोपी को पुलिस ने नहीं किया गिरफ्तार
पुलिस ने महीनों बाद एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया. लोगों की मानें तो घटना से दो दिन पहले ही घटनास्थल विकास नगर से सीसीटीवी कैमरे गायब हो गए थे. सुनियोजित तरीके से घटना को अंजाम दिया गया था. पुलिस ने आठ महीने में एक दिन भी मुख्य आरोपी पप्पू मंडल या उसके करीबियों विपिन राउत, आकाश छावड़ा, संतोष कुमार व अनिल यादव की गिरफ्तारी के लिए छापामारी नहीं की. पुलिस का कहना है कि स्कार्पियो में सीट कवर के पीछे पिस्टल रखते समय गोली चलने से मौत हुई या फिर किसी ने गोली मारकर हत्या की, यह रहस्य बना हुआ है.
इकलौते बेटे की मौत के बाद छिन गया सहारा
पिता शमशाद सिद्दीकी कहते हैं कि पुलिस की जांच तो वही जाने. वह हृदय रोग से पीड़ित हैं. घर में सीढ़ी चढ़ने और उतरने में भारी परेशानी होती है. इकलौते बेटे की मौत के बाद पूरे परिवार का सहारा ही छिन गया. रेलवे में ड्राइवर थे. रिटायर्ड होने के तीन साल बाद बेटे की हत्या कर दी गई.12 दिसंबर 2022 की रात नौ बजे घर से निकलने से पहले शाहबाज ने कहा था कि पप्पू मंडल से हिसाब कर अपना बकाया रकम ले लेंगे. उसके बाद पप्पू के साथ काम नहीं करेंगे. घर से जाने के लगभग तीन-चार घंटे के बाद किसी ने फोन कर कहा कि आपका बेटा सेंट्रल हॉस्पिटल में भर्ती है. रिश्तेदार और मुहल्ले के कुछ लोगों के साथ अस्पताल गए तो चिकित्सकों से पता चला कि पीठ में गोली लगने से उसकी मौत हो गई. हत्या के विरोध में लोगों ने सड़क जाम की. कैंडल मार्च निकाला. डीसी से लेकर सीएम तक को पत्र लिखा. लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
पिस्टल के साथ सरेंडर करनेवाला जेल से आ चुका है बाहर
घटना के दूसरे दिन पिस्टल के साथ सरेंडर करनेवाले अनिल यादव को पुलिस ने जेल भेजा था. परंतु वह कुछ दिन बाद ही जेल से छूटकर बाहर आ गया. उसे जमानत मिल गई. पुलिस को अनिल ने बयान दिया था कि उसे शाहबाज ने सीट कवर के पीछे पिस्टल रखने को कहा था. वह पिस्टल रख रहा था, तभी गोली चल गई. सीट कवर में छेद था. लेकिन गोली लगने के बाद खून के निशान कहीं नहीं थे. गोली चलने से जिस तरह सीट में छेद होना चाहिए था, वैसा नहीं था. लोगों का कहना है कि फोरेंसिक जांच से सब कुछ साफ हो जाता, परंतु पुलिस अधिकारियों ने जान बूझकर फोरेंसिक टीम से गाड़ी व पिस्टल की जांच नहीं कराई.