आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के टाटा-कांड्रा मुख्य मार्ग के बगल में स्थित कोलकाता की डेवलपर एजेंसी फोरम इंडिया को 22 एकड़ जमीन को जियाडा प्रबंधन द्वारा आवंटन किये जाने के मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में 26 जून को होगी. इसमें फोरम इंडिया के भविष्य पर निर्णय आना है. वहीं इस जमीन को रद्द कर उसे नए सिरे से आवंटित करने की जारी प्रक्रिया के तहत 27 जून को जियाडा ने प्रोजेक्ट क्लियरेंस कमेटी की बैठक बुलाई है. चूंकि हाई कोर्ट की पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निर्णय सुनाया था कि जियाडा को जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता. हालंकि जियाडा ने फोरम इंडिया को डिफाल्टर पाए जाने पर आवंटन रद्द किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने फोरम इंडिया को इतनी राहत जरूर दी थी कि जब तक केस का फाइनल फैसला नहीं आ जाता है तब तक जियाडा उक्त जमीन को किसी अन्य उद्यमी को नहीं देगी.
अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने की वजह से काम नहीं हुआ शुरू
इधर, जियाडा के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन ने कहा है कि वे 27 जून को फोरम इंडिया की 22 एकड़ जमीन समेत कुल 32 प्लॉट के लिए 71 आवेदकों को लेकर प्रोजेक्ट क्लियरेंस कमेटी की बैठक बुलाई गई है. सभी के प्रोजेक्ट का अध्ययन कर फैसला सुरक्षित रखा जाएगा. वहीं फोरम इंडिया के सीईओ निर्मल लुनावत ने आशा जताया है कि 26 जून को हाई कोर्ट उनके पक्ष में फैसला सुनाएगी. चूंकि इस प्रोजेक्ट पर वे 100 करोड़ खर्च कर चुके हैं केवल कुछ अनापत्ति प्रमाण पत्र की वजह से वे काम शुरू नहीं कर पा रहे थे, जिसे लेने में जियाडा प्रबंधन ने उनकी किसी भी प्रकार की मदद नहीं की थी. जबकि उन्हें जमीन आवंटन के वक्त सिंगल विंडो से सभी प्रकार का अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलाने का आश्वासन मिला था.
जुर्माना जमा करने के बाद भी नहीं शुरू किया कार्य
वहीं, जियाडा की ओर से केस की पैरवी कर रहे लीगल एडवाइजर एडवोकेट सीए वर्धन ने बताया कि फोरम इंडिया हर मोर्चे पर विफल रही है. हाई कोर्ट ने पूर्व में उनके वादाखिलाफी के विरुद्ध प्रोजेक्ट की कुल लागत का 25 फीसदी जुर्माना लगाते हुए छह माह में कार्य शुरू करने का आदेश दिया था. इसके विरुद्ध फोरम सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली थी. फोरम इंडिया ने 25 फीसदी राशि जुर्माना का भी जमा किया लेकिन समय पर कार्य शुरू नहीं किया. इस बार कोर्ट में उन्हें फिर मुंह की खानी पड़ेगी.