भूकंप के झटकों के कारण अब तक कम से कम 128 लोगों की मौत हो गई है. वहीं करीब 150 लोग घायल हुए हैं. रात करीब 11:30 बजे पहली बार भूकंप से धरती हिली. इसके बाद कई और झटके महसूस किए गए. नेपाल की सेना और पुलिस बचाव अभियान में जुटी है. भूकंप इतना तेज था कि झटके उत्तर भारत के बिहार, दिल्ली NCR और उत्तर प्रदेश में भी महसूस किए गए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तबाही के बाद नेपाल को हरसंभव मदद का वादा किया है. राष्ट्रीय भूकंप मापन केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जाजरकोट जिले के लामिडांडा क्षेत्र में था. ये जिला पूरा पहाड़ी इलाका है. आबादी लगभग 1 लाख 90 हजार. भूकंप के झटकों के चलते भूस्खलन भी हुआ है, जिसकी वजह से कई रास्ते बंद हो गए हैं. कई इमारतें ढह गई हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 दर्ज की गई और इसका केंद्र 10 किमी की गहराई पर था. नेपाल के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि कई जगहों पर कम्यूनिकेशन कट गया है. घायलों को इलाज के लिए जाजरकोट के एक अस्पताल में ले जाया जा रहा है. यह इलाका राजधानी काठमांडू से लगभग 500 किलोमीटर पश्चिम में है. 4 नवंबर की सुबह प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल मेडिकल टीम के साथ घटना स्थल की तरफ रवाना हो गए है. प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार गोविंद आचार्य ने जानकारी दी,. नेपाल में पिछले एक महीने में छह से ज्यादा तीव्रता वाला ये दूसरा भूकंप था. इससे पहले 2 अक्टूबर को पड़ोसी देश में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया था. हालांकि तब ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा था.
आठ साल पहले नेपाल भूकंप की भीषण तबाही झेल चुका है. अप्रैल 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता वाले भूकंप ने 12 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली थी. लाखों लोग विस्थापित हो गए थे. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक भूकंप से 80 लाख लोग प्रभावित हुए थे.
