झारखंड के नए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन भी बहुत ही अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं. वे तमिलनाडु से आते हैं और दो बार 1998 और 1999 में कोयंबटूर निर्नाचन क्षेत्र से चुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं. वे तमिलनाडु में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. जब भी हेमंत सोरेन से जुड़ी फाइल सीपी राधाकृष्णन के पास आएगी, तो उनके मन में एक सवाल होगा कि रमेश बैस ने ये फैसला क्यों नहीं लिया. अगर रमेश बैस ने फैसला नहीं लिया और ये ग़लत था तो उनको पदोन्नति क्यों मिली. अगर रमेश बैस को गवर्नर नहीं बनाया जाता तो मुझे लगता है कि सीपी राधाकृष्णन का फैसला कुछ अलग होता. रमेश बैस को भगत कोश्यारी की जगह महाराष्ट्र का राज्यपाल बना दिया गया है. ऐसे में सीपी राधाकृष्णन जरूर सोचेंगे कि पार्टी हाईकमान या सरकार में जो सर्वोच्च पदों पर बैठे लोग हैं, उनकी इच्छा के मुताबिक हुआ. वे नहीं चाहते थे कि चुनाव आयोग की सिफारिश अभी सार्वजनिक हो.जब तक ऊपर से ग्रीन सिग्नल नहीं मिलेगा, मुझे नहीं लगता है कि तब तक सीपी राधाकृष्णन उस मुद्दे को हाथ लगाना चाहेंगे. राज्यपालों के नियुक्ति और ट्रांसफर को देखते हुए सीपी राधाकृष्णन जरूर समझ गए होंगे कि हेमंत सोरेन मामले पर पार्टी हाईकमान की अगर कोई राय है तो उसके मुताबिक ही कोई फैसला करना है. कोई राय नहीं है तो वे अपना स्वतंत्र फैसला करने के लिए आज़ाद हैं.
झारखंड में जिस तरह की राजनीतिक अस्थिरता है, उसमें बीजेपी की कोशिश थी अपनी सरकार बनाने की. लेकिन वो जो 2 या 3 विधायक कोलकाता में कैश के साथ पकड़े गए, उसके बाद बीजेपी का सारा समीकरण गड़बड़ हो गया. इसके अलावा कोई और कारण नज़र नहीं आता कि क्यों राज्यपाल चुनाव आयोग की सिफारिश को सार्वजनिक नहीं करेंगे. सीपी राधाकृष्णन के सामने भी ये सवाल होगा. वे जरूर जानना चाहेंगे कि रमैश बैस ने कोई फैसला क्यों नहीं लिया, कोई कार्रवाई क्यों नहीं की.
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के अभिभाषण से इसकी शुरुआत हुई। उन्होंने हेमंत सरकार की उपलब्धियां गिनाई। उन्होने हेमंत सोरेन सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए उनकी तारीफ की जिससे विपक्ष को आलोचना करने का मौका नहीं मिल पाया। इस तरह से विपक्ष की सारी राजनीति उन्होंने खत्म कर दिया।अपने भाषण में राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार ने लोक और तंत्र की परस्पर सहभागिता से सरकार के संचालन का विशिष्ट उदाहरण पेश किया है। लोकतंत्र की सार्थकता जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन में निहित है। सरकार ने इसे सही मायने में चरितार्थ करके दिखाया है। अपने भाषण में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि – निर्माण से लेकर निर्णय लेने तक और निर्णयों के क्रियान्वयन से लेकर सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग तक, हर क्षेत्र में जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। सरकार की प्राथमिकता गरीबों, वंचितों, शोषितों, आदिवासियों, दलितों, पिछड़े, अल्पसंख्यकों, बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं, मजदूरों और किसान का सर्वांगीण विकास है। झारखंड की अस्मिता, संस्कृति, भाषा और सभ्यता को बढ़ावा देते हुए विकास के लिए झारखंड सरकार प्रतिबद्ध है।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार के दूरदर्शी और सशक्त निर्णयों की वजह से कोरोना की तीसरी लहर कहर नहीं बन पाई। सरकार ने जहां कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के सभी संभव उपाय किए, वहीं अर्थव्यवस्था को भी पटरी से नहीं उतरने दिया। सरकार ने जितना काम कोविड रोकथाम, कोविड अनुकूल व्यवहार और अस्पताल प्रबंधन के लिए किया उतना ही काम गरीबों की रोजी-रोटी, बच्चों की शिक्षा, युवाओं के रोजगार, विकास के काम और जन कल्याण की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए भी किया। कोरोना महामारी के काल मे जहां वर्ष 2020-21 में देश का आर्थिक विकास दर ऋणात्मक (-6.6) रहा वहीं झारखंड के विकास दर ऋणात्मक (-5.5) प्रतिशत रहा। वर्ष 2021-22 में आर्थिक विकास दर 8.2 प्रतिशत रहा है। कोरोना महामारी के काल मे झारखंड में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2020-21 में 70,071 रुपए थी, जो 2021-22 में बढ़कर 78,660 रुपये हो गई।
अभिभाषण में कहा गया कि ये आंकड़े इस बात के द्योतक हैं कि झारखंड विषम परिस्थितियों में भी अपने संकल्पबद्ध प्रयास से सफलता के नए आयामों को स्पर्श करने की क्षमता रखता है। राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के हित में झारखंड कृषि ऋण माफी योजना ‘शुरू की। इस योजना के तहत 4.5 लाख किसानों के बीच 1727 करोड़ रुपए का लोन माफ किया है। 22 जिले के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित कर राहत कार्य शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के अंतर्गत प्रति परिवार 3500 रुपए की दर से 13 लाख से अधिक किसानों को 461 करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित की है। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 6.30 लाख किसानों के बीच 3300 करोड़ रुपए ऋण वितरित किया गया है।
