झारखण्ड को देश की आदिवासी राजनीति का केंद्र बिंदु बनाने के लिए हेमन्त सोरेन जी का आभार।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देशभर के 13 करोड़ से ज्यादा आदिवासियों को हक के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में बुधवार को आयोजित दो दिनी झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 के उद्घाटन समारोह में सीएम ने कहा कि आज आदिवासी समाज जाति-धर्म के आधार पर बंटा है। जबकि संस्कृति और खून एक है तो समाज भी एक हो। हमारी समस्या भी एक जैसी है तो लड़ाई भी एक होनी चाहिए। इसके लिए सबको एक होना होगा।
सीएम ने कहा कि आज आदिवासियों की कई भाषाएं गायब हो चुकी हैं। हमारे जीवन को आस्था के केंद्रों से बांधने का प्रयास हो रहा है। कुछ लोग तो हमारा नाम तक छीनने में लगे हैं। जिस समाज की कोई जाति नहीं उसे कोई जनजाति तो कोई वनवासी कहकर एक ढंग से चिढ़ा रहा है। सीएम ने कहा कि हमें सिर्फ जंगल में रहने वाले गरीब के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। जंगल एवं मानव विकास की पूरी कहानी हमारे पूर्वजों के पास है। आज जरूरत है कि एक आम देशवासी के अंदर आदिवासी समाज के प्रति संवेदना जगाई जा रही है। सीएम ने आदिवासी समूहों के बीच संवाद की जरूरत बताई लेख सीएम ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी प्रताड़ना झेलने को विवश हैं। मणिपुर, एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात और तमिलनाडु में हजारों घर जलाए गए। सैकड़ों को मारा गया। महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ किया गया है। उनकी कोशिश है कि आदिवासी समूहों के बीच संवाद ऐप पर पढ़ें मणिपुर का आदिवासी उत्पीड़न झारखंड के मुंडा समाज का विषय नहीं बन पा रहा है। राजस्थान के मीणा समाज के दर्द को मध्य प्रदेश के भील अपना नहीं मान रहे हैं।
जेएमएम झामुमो नेता ने यह भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दौरा अनायास नहीं होता है। मध्य प्रदेश का चुनाव प्रचार 15 नवंबर को समाप्त हो रहा है। वहां कई आदिवासी आरक्षित सीटें हैं। निशाना कहीं वे सीटें तो नहीं हैं? उम्मीद करते हैं कि यह कार्यक्रम पूर्णत: गैर राजनीतिक होगा और झारखंड को लेकर प्रधानमंत्री कई घोषणा करेंगे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वनों पर निर्भर आदिवासियों एवं अन्य लोगों को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत वनाधिकार पट्टा देने के लिए अबुआ बीर दिशोम अभियान का शुभारंभ किया है। इसकी शुरुआत पारंपरिक रूप से नगाड़ा बजाकर किया गया।।इसके तहत एक व्यापक अभियान चलाकर आदिवासी और वनों पर निर्भर रहनेवाले लोगों को व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जाएगा। इस अभियान से 15 लाख आदिवासी परिवारों को छह से आठ माह में जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासियों को वनाधिकार पट्टा देने पर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। इसके लिए उन्होंने उपायुक्तों एवं जिला वन अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इस अभियान को सफल बनाने के सख्त निर्देश भी दिया। इस अभियान को सफल बनाने के लिए ग्राम, अनुमंडल एवं जिला स्तर पर वनाधिकार समिति का गठन / पुनर्गठन किया गया है। यह समिति वन पर निर्भर लोगों और समुदायों को वनाधिकार पट्टा दिये जाने के लिए उनके दावा पर नियमानुसार अनुशंसा करेगी।
साथ ही अबुआ बीट दिशोम अभियान के सफल आपका साथी
के लिए मोबाइल एप्लीकेशन एवं वेबसाइट भी तैयार की गई है, जिससे आदिवासी और वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों को व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जा सके। पट्टा मुहैया कराने हेतु अभियान अबुआ बीट दिशोम अभियान की शुरुआत राज्यस्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला से हुई।
देश के राष्ट्रपति का दौरा भी केंद्र के इशारे पर होता है। पिछली बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का झारखंड में कार्यक्रम तय हो गया था। स्थापना दिवस समारोह में उन्हें शामिल होना था। जनजातीय महोत्सव का भी कार्यक्रम तय था। अंतिम क्षण में उनका कार्यक्रम बदल दिया गया।
झारखंड स्थापना दिवस दिवस पूरे राज्य में जश्न का माहौल है. देश के प्रधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी झारखंड के दौरे पर आए हुए हैं लेकिन फिर भी वह झारखंड स्थापना दिवस के मुख्य कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे झारखंड का यह उनका दौरा पूरी तरह से चुनावी दौरा है क्योंकि देश के पांच राज्यों में चुनाव हो रहा है जहां आदिवासी वोटो को अपने पक्ष में करना के उद्देश्य से वह झारखंड के दौरे पर आए हैं। राज्यभर में स्थापना दिवस को लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. मुख्य कार्यक्रम रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित है. इस समारोह का उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे. झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर 1714.44 करोड़ रुपए की कुल 229 योजनाओं का उद्घाटन एवं 5328.30 करोड़ रुपए की कुल 677 योजनाओं का शिलान्यास होगा.

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