Ranchi: गुमला और पलामू में फर्जी चेक के माध्यम से 22 करोड़ की निकासी करने वाले सात दोषियों को कोर्ट ने शनिवार को सात-सात साल सजा सुनाई है. गुमला कोर्ट ने जिन आरोपियों को सजा सुनाई है, उसमें, गणेश लोहरा, पंकज तिग्गा, राज कुमार तिवारी, मनीष कुमार पांडेय, इकबाल अंसारी, साजन राज उर्फ मनीष जैन और निर्भय कुमार शामिल हैं. इन सभी आरोपियों के द्वारा पलामू के विशेष भू-अर्जन उत्तरी कोयल परियोजना मेदनीनगर से 12.60 करोड़ और गुमला में समेकित जनजाति विकास अभिकरण से 9.05 करोड़ रुपया गबन किया था.
CID के तत्कालीन एडीजी अनिल पालटा द्वारा केस को किया गया था टेकओवर
सीआइडी के तत्कालीन एडीजी अनिल पालटा के द्वारा इस मामले को टेकओवर किया गया था. इस मामले का अनुसंधानकर्ता डीएसपी जेपीएन चौधरी को बनाया गया था. इस मामले की बेहतर तरीके से अनुसंधान करने को लेकर डीएसपी जेपीएन चौधरी को पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा बेहतर अनुसंधानकर्ता का मेडल भी दिया गया था. इससे पहले सीआईडी ने सरायकेला में कोऑपरेटिव बैंक से रुपये गबन करने के मामले की जांच की थी. इसमें शामिल आरोपियों को कोर्ट ने दस साल की सजा सुनाई थी.
गुमला में फर्जी चेक के माध्यम से की गयी थी 9.05 करोड़ की निकासी
समेकित जनजाति विकास अभिकरण, गुमला के अपर परियोजना निदेशक ने 10 अक्टूबर 2019 को गुमला थाने में कांड संख्या 324 /19 में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि समेकित जनजाति विकास अभिकरण, गुमला के खाते से एसबीआइ गुमला से जारी चेक पर फर्जी तरीके से 9.05 करोड़ रुपये को ओडिशा में एक्सिस बैंक के कोटपाद शाखा में स्थानातरित कर दिया गया है. एक ही व्यक्ति ने दो फर्जी हस्ताक्षर से इस राशि की निकासी की है. यह गलत ढंग से एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया है. दर्ज प्राथमिकी में एसबीआइ की गुमला शाखा में कार्यरत संबंधित कर्मी-पदाधिकारी को आरोपित किया गया है.
