झारखंड के सर्वमान्य नेता हैं शिबू सोरेन
11 जनवरी 1944 को रामगढ़ के छोटे से गांव नेमरा में जन्मे शिबू सोरेन झारखंड के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. 70 के दशक में महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन कर वे चर्चा में आये थे. 1957 में जमींदारों ने उनके पिता की हत्या कर दी थी. इसके बाद से उन्होंने जमींदारी प्रथा को खत्म करने का संकल्प लिया था. उन्होंने आदिवासी समाज को एकजुट किया. आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. इसके बाद उन्होंने अलग झारखंड राज्य के लिए संघर्ष किया. पहली बार 1977 में लोकसभा के लिये चुनाव में खड़े हुए, लेकिन चुनाव हार गये. 1980 में वे लोकसभा चुनाव जीते. इसके बाद 1986, 1989, 1991, 1996 में भी चुनाव जीते. 2004 में भी वे दुमका से लोकसभा चुनाव जीते. केंद्र में मंत्री भी बनाये गये. झारखंड गठन के बाद से तीन बार वे राज्य के सीएम भी बने. उम्र के इस पड़ाव में भी उन्होंने राजनीति को अलविदा नहीं कहा है. वे फिलहाल झारखंड से राज्यसभा के सदस्य हैं. शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आये थे बाबूलाल
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और अभी भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का जन्म 11 जनवरी 1958 को गिरिडीह के कोदाईबांक में हुआ था. किसान परिवार में जन्मे बाबूलाल मरांडी ने पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राइमरी स्कूल में नौकरी की, लेकिन सरकारी नौकरी उन्हें रास नहीं आई. नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गये. 1990 में बाबूलाल संथाल परगना के भाजपा के संगठन मंत्री बने. उन्होंने एक बार शिबू सोरेन को भी लोकसभा चुनाव में हराया. 2000 में झारखंड बनने के बाद वो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. 2003 में उन्हें मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा. 2006 में उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. बाबूलाल ने 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव झारखंड विकास मोर्चा ने चुनाव लड़ा. 2020में उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया. भाजपा ने उन्हें विधायक दल का नेता बनाया है. पार्टी ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष भी चुना है, लेकिन विधानसभा में उन्हें नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं मिली है.