झारखंड निर्माण करने वाले गुरूजी और उनके बेटे हेमंत सोरेन देश बचाने के मुहिम में हुए शामिल, मिली सराहना, जानिए क्यों।

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झारखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले शिबू सोरेन जिसे गुरूजी जी के नाम से भी जाना जाता है, की सराहना आज देश भर में हो रही है। स्वास्थ्य कारणों से भले ही गुरूजी राजनीति में कम सक्रिय हो लेकिन शारीरिक कमजोरी के बावजूद वे देश को बचाने के हर पहल पर वे शामिल हो रहे हैं। भाजपा आज जिस तरह से संवैधानिक संस्थानों को खत्म कर रही हैं, उसे बचाने के विपक्ष की लड़ाई में वे भी खुद चुके हैं। इसी कड़ी में उनके निर्देश पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्‍ली बिल 2023 के खिलाफ आम आदमी पार्टी की अपील का खुलकर साथ दिया। इसके लिए अरविंद केजरीवाल ने गुरूजी और उनके बेटे सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के कार्यों की सराहना की है।

*जानें क्या लिखा हैं अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में।*

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सर्विस बिल पर आम आदमी पार्टी का समर्थन करने वाले विपक्षी सांसदों को चिट्‌ठी लिखी है। केजरीवाल ने चिट्‌ठी के जरिए विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के सांसदों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने खासकर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का आभार व्यक्त किया। सीएम केजरीवाल ने कहा, दिल्ली की 2 करोड़ जनता की ओर से वे इनका धन्यवाद देते हैं। संसद और बाहर दिल्ली के अधिकारों की वकालत के लिए आप तारीफ के काबिल हैं। मुझे विश्वास है कि संविधान के प्रति आपके अटूट विश्वास को दशकों तक याद रखा जाएगा। संविधान को कमजोर करने वाली ताकतों के खिलाफ लड़ाई में आपसे लगातार सहयोग की उम्मीद करता हूं।

*झारखंड निर्माण में गुरूजी का योगदान कौन नहीं जानता, यह अतुलनीय हैं।*

दिशोम गुरू के जिक्र के बिना झारखंड की चर्चा पूरी नहीं हो सकती। राज्य निर्माण में इनका योगदान अतुलनीय है। आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में जाने जाने वाले शिबू सोरेन शुरू से ही अलग झारखंड राज्य बनाने के लिए संघर्षरत रहें। साल 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा गठन कर उन्होंने इस संघर्ष को काफी तेजी दी। शिबू सोरेन का सफरनामा उतार-चढ़ाव भरा और प्रेरणादायी रहा है। सांसद से केंद्र में मंत्री बनने तक कड़ा संघर्ष किया, ताकि आदिवासियों की मांगो को सही जगह उठाया जा सके। शिबू सोरेन के टुंडी स्थित आश्रम में बच्चों, आदिवासियों के हित में कई काम किए जाते थे। इसमें पाठशाला संचालन और शराबबंदी का काम महत्वपूर्ण था। इसे देखते ही धनबाद जिले के उपायुक्त रहे केबी सक्सेना ने उन्हें गुरुजी कह कर संबोधित किया था।

*संघर्ष और आंदोलन की जीवनी पर आधारित पुस्तकें पढ़ेंगे सरकारी स्कूलों के बच्चे।*

भविष्य में झारखंड बचा रहे, इसके लिए युवाओं की एक पीढ़ी को भविष्य में तैयार करना जरूरी है। इसके लिए हेमंत सोरेन सरकार ने फैसला किया है कि ज्ञानोदय योजना के तहत सरकारी विद्यालयों के लिए में शिबू सोरेन की जीवनी आधारित पुस्तकों की पढ़ाई होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरूजी के कड़े संघर्ष और आंदोलन की जीवनी को बच्चे जान सके। सरकार ने पुस्तकों को खरीदने की अनुमति दी है।प्राथमिक विद्यालयों में सुनो बच्चों, आदिवासी संघर्ष के नायक शिबू सोरेन (गुरु जी) की गाथा नाम की पुस्तक रखी जायेगी। वहीं, माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में रखने के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन व ट्राइबल हीरो शिबू सोरेन नामक पुस्तक का खरीदा जाएगा।

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