मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म उत्सव मनाने के लिए हजारीबाग सजधज के तैयार हो रहा है. हर ओर तैयारियां परवान पर है. हजारीबाग आर्ष कन्या गुरुकुल की छात्राएं भी रामनवमी को लेकर अस्त्र-शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं. लगभग 100 छात्राएं तलवार चलाने से लेकर दंड भांजने की कला भी सीख रही हैं. रामनवमी को देखते हुए आर्ष कन्या गुरुकुल में अध्ययनरत ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणियों को परंपरागत कला कौशल के लिए 10 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
प्रशिक्षकों में यूपी से पहुंचे देश के जाने-माने प्रशिक्षक सह राष्ट्रीय आर्य वीर दल के प्रमुख आचार्य धर्मवीर त्यागी, कुरुक्षेत्र से ब्रह्मचारिणी रजनी आर्या और ब्रह्मचारिणी समीक्षा आर्या शामिल हैं. शिविर में सभी को लाठी, तलवार, भाला, डंबल आदि चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. शाम 4:00 बजे के आसपास जब छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाता है, तो मानो ऐसा लगता है कि देश की वीरांगनाएं हथियार के साथ तैयार हो रही हैं.
महिलाओं को आत्मरक्षा के साथ आत्मनिर्भर बनने की जरूरत : आचार्य कौटिल्य
गुरुकुल के निदेशक आचार्य कौटिल्य बताते हैं कि छात्राओं को रामनवमी की तैयारी करवा रहे हैं. इसके दो लाभ हैं. एक तो छात्राएं आत्मनिर्भर हो रही हैं और कैसे खुद को सुरक्षित रखा जाए, इसकी तरकीब भी सीख रही हैं. आज के समय में महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए खुद आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. दूसरी ओर हजारीबाग की रामनवमी की तैयारी भी चल रही है. गुरुकुल की बेटियां रामनवमी में तलवार चलाती हुई दिखेंगी, तो यह मातृशक्ति की द्योतक होंगी. लड़कियां डंडे से कला-कौशल का प्रदर्शन भी करेंगी. सबसे खुशी की बात यह है कि हमारी बेटियां इस प्रशिक्षण में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी ले रही हैं. महज पांच दिनों में ही वे ऐसा तलवार चला रही हैं मानो सालों से वह प्रशिक्षित हैं. प्रशिक्षण देने के लिए भी उच्च कोटि के प्रशिक्षक भी हजारीबाग में आमंत्रित किए गए हैं.
सुरक्षा के लिहाज से रजनी आर्या 2000 से अधिक छात्राओं को कर चुकी हैं आत्मनिर्भर
हरियाणा से आयीं रजनी आर्या बताती हैं कि वह छात्राओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रही हैं. इसका एकमात्र उद्देश्य है कि बेटियां भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से आत्मनिर्भर बन सकें. साथ ही अभी रामनवमी है, तो इन्हें लड़कों की तरह हथियार चलाना भी आना चाहिए. रजनी बताती हैं कि उन्होंने अब तक 2000 से अधिक छात्राओं को आत्मनिर्भर होने के लिए ट्रेंड किया है. उनका कैंप पूरे देश भर में चलता रहता है. इसी क्रम में वह गुरुकुल हजारीबाग पहुंची हैं.
शास्त्र के साथ शस्त्र का प्रशिक्षण लेना अद्भुत
हथियारों का प्रशिक्षण लेने वाली सौम्या आर्या बताती हैं कि गुरुकुल में शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र की भी शिक्षा दी जाती है. वह पिछले छह साल से हथियार चलाना सीख रही हैं. लेकिन इस बार 10 दिनों का जो विशेष प्रशिक्षण शिविर लगा है, यह बेहद खास है. हमारी गुरुकुल की 100 से अधिक छात्राएं हथियार चलाना सीख रही हैं. उन लोगों को बेहद अच्छा भी लग रहा है. आत्मरक्षा के साथ-साथ धर्म और देश की रक्षा के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं.