झारखंड हाईकोर्ट ने रांची में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को रोकने के मामले पर सरकार के अधिकारियों के रवैये को देखते हुए कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. अदालत ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए रांची के डीसी, एसपी और नगर आयुक्त को निर्देश दिया है कि हर हाल में ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाएं. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि रात के 10 बजे के बाद शहर में लाउडस्पीकर बजाने पर पूर्णतया रोक लगाया जाए. ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए हर कदम उठाया जाना चाहिए.
अदालत ने राज्य सरकार को फिर एक बार समय देते हुए ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं इस बिंदु पर विस्तृत और अद्यतन जानकारी पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की कोर्ट में ध्वनि प्रदूषण पर स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश के मद्देनजर राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर नहीं किया जा सका. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की.
मामले की सुनवाई के दौरान रांची डीसी, एसएसपी और उप नगर आयुक्त हाजिर हुए. अदालत ने अधिकारियों से पूछा कि राजधानी में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं? इस पर अद्यतन जानकारी अदालत में क्यों नहीं पेश की गई? उन्होंने यह जानना चाहा कि हाईकोर्ट के आदेश को लेकर ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए क्या-क्या किया जा रहा है. रांची डीसी की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट के चारों तरफ की सड़कों पर साइलेंस जोन घोषित किया गया है. अशोक नगर की सड़कों को भी साइलेंस जोन घोषित किया गया है.
इसके लिए बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं. लोगों को जागरूक किया जा रहा है. जिस पर अदालत ने कहा कि सिर्फ यहीं ध्वनि प्रदूषण नहीं हो रहा है. पूरे शहर में ध्वनि प्रदूषण हो रहा है. इसे रोकने के लिए पूरे शहर में काम किया जाना चाहिए. इसके लिए अभी तक क्या क्या कदम उठाए गए हैं, और क्या-क्या काम किए गए हैं इससे संबंधित रिपोर्ट पेश करने को कहा है.