हेमन्त सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग गठन के दिशा में बढ़ी

jharkhand
Spread the love

महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव को लेकर हुए विवाद पर हाईकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी को आरक्षण देने का आदेश दिया था। आदेश के बाद इसी आधार पर आरक्षण का प्रावधान करने को कहा गया था। कोर्ट ने कहा था कि सरकार अगर जरूरी समझती है, तो बिना ओबीसी आरक्षण के निकायों का चुनाव करा सकती है। लेकिन, अगर ओबीसी को आरक्षण देना चाहती है तो ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य होगा। इसके लिए राज्य सरकार को आयोग का गठन करना होगा। आयोग विस्तृत और व्यावहारिक डाटा के आधार पर निकायों में ओबीसी के प्रतिनिधित्व का निर्धारण करेगा। हालांकि इसके लिए आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी। यानी निकायों में एसटी-एससी को मिलने वाले आरक्षण को 50 फीसदी की सीमा से घटाते हुए शेष सीटों पर ओबीसी को आरक्षण मिलेगा। इस फैसले के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने का फैसला किया और वे इसके लिए झारखंड पिछड़ा आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं और जल्द ही पिछड़ा आयोग का गठन हो जाएगा।झारखंड में नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ट्रिपल टेस्ट करेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। साथ ही, वित्त विभाग ने भी नगर विकास विभाग के दस्तावेज पर सहमति जताई है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। इसके बाद राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन होगा। अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो जाने के कारण राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अभी अस्तित्व में नहीं है। आयोग गठन के बाद उसकी अनुशंसा पर ओबीसी आरक्षण का प्रावधान कर सरकार कराने की दिशा में आगे बढ़ेगी। माना जा रहा है कि जल्द ही पिछड़े आयोग का गठन होगा। पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के साथ राज्य में नगर निकाय चुनाव होगा। पिछले दिनों नगर विकास विभाग ने ट्रिपल टेस्ट का दायित्व सौंपने और पिछड़ा वर्ग आयोग गठन का प्रस्ताव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेजा है । सूत्रों के अनुसार, 3 सदस्य समिति के गठन को लेकर मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिल सकती है। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा था कि उनकी सरकार 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर बहुत जल्द प्रस्ताव लाने जा रही है। कार्मिक विभाग के सूत्रों के अनुसार आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने को लेकर सरकार के पास पर्याप्त आधार तो है लेकिन कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाने की स्थिति में इस निर्णय को चुनौती भी दी जा सकती है। विभागीय स्तर पर कानूनी पशुओं से बचने के लिए भी तैयारी की जा रही है।
झारखंड में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में कमेटी ने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रतिशत 50 प्रतिशत तक करने की अनुशंसा पहले ही कर रखी है। ज्ञात हो कि ओबीसी आरक्षण 50 फीसदी करने को लेकर राज्य पिछड़ा आयोग ने तीन दिन तक लगातार बैठक की थी। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति लोकनाथ प्रसाद के नेतृत्व में तमिलनाडु में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अध्ययन भी किया गया था। तमिलनाडु में राज्य सरकार द्वारा तय ओबीसी आरक्षण को देखते हुए झारखंड में भी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *