झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने पंचायत सचिवालय को नई सौगात दी है. दरअसल राज्य के 4 हजार 345 सचिवालयों को हर माह खर्च के लिये अब सरकार राशि देगी. पंचायती राज विभाग ने सभी पंचायत सचिवालयों को प्रति माह 15 हजार रुपये देने का निर्णय लिया है. इसको लेकर प्रति वर्ष 80 करोड़ रुपया का प्रावधान किया गया है. झारखंड में पंचायत सचिवालय का हाल बेहाल है.
ज्यादातर पंचायतों के सचिवालय खुलते नहीं. जो खुलते है वहां जन प्रतिनिधि से लेकर सरकारी कर्मी तक के दर्शन दुर्लभ हैं. जन प्रतिनिधियों के कमरे पर ताला, पंचायत सचिवालय के कर्मियों के कमरे पर ताला यही पंचायत सचिवालय की हकीकत है. कुछ जन प्रतिनिधि तो ऐसे है जो खुद झाडू लगाने के लिये विवश हैं. कांके प्रखंड के हुन्दूर पंचायत की मुखिया रनजनी देवी कहती है कई बार वो खुद झाडू लगा लेती हैं. काम करने वाली महिला प्रति दिन का 400 रुपया मांगती हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं हैं. पैसे के अभाव में अब तक पंचायत सचिवालय भवन में उनका नाम भी नहीं लिखा जा सका है. कार्यालय में पेन-पेंसिल और कागज का खर्च भी वो खुद वहन करती हैं. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंचायत सचिवालय का रोजाना खुलना है. अब तक किसी भी सरकार ने पंचायत सचिवालय के लिये कोई फंड तय नहीं किया था लेकिन अब पंचायती राज विभाग ने पंचायत सचिवालय की रौनक लौटाने के लिये बड़ा निर्णय लिया है. पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव के अनुसार राज्य के सभी 4 हजार 345 पंचायत सचिवालय को प्रति माह 15 हजार रु देने का निर्णय लिया गया है. इसके लिये प्रति वर्ष 80 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया गया है. राज्य के सभी निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को मानदेय मिलेगा। अबतक जिला परिषद अध्यक्ष, जिला परिषद उपाध्यक्ष, पंचायत समिति प्रमुख, पंचायत समिति उपप्रमुख, मुखिया, उप मुखिया, मेयर, डिप्टी मेयर और वार्ड पार्षदों को ही सरकार मासिक मानदेय दे रही थी हेमंत सोरेन सरकार ने जिला परिषद सदस्य समेत पंचायत समिति सदस्य एवं ग्राम पंचायत सदस्यों को भी मानदेय देने का नीतिगत निर्णय लिया है। विभाग का आदेश मिलने के बाद पंचायत सचिवालय के द्वारा बैंक खाता खोलने का काम शुरू हो चुका है. पंचायत सचिवालयों को प्रति माह मिलने वाली इस राशि को साफ-सफाई से लेकर इंटरनेट सुविधा और गार्ड रखने सहित कई दूसरे काम में किया जा सकता है. विभाग का लक्ष्य पंचायत सचिवालय को सुदृढ करना है क्योंकि सरकार को पता है कि यहीं से सभी योजनाओं को धरातल पर उतारा जा सकता है.
अभी जिन पंचायत निर्वाचित प्रतिनिधियों को मानदेय मिलता है, उसमें करीब 10 करोड़ रुपए वार्षिक व्यय होता है। इस फैसले के बाद अब इस मद में कुल 24 करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
यह है मानदेय का स्वरूप
जिला परिषद सदस्य 1500 रुपए प्रतिमाह पंचायत समिति सदस्य 750 रुपए प्रतिमाह ग्राम पंचायत सदस्य 200 रुपए प्रतिमाह जिन्हें अभी मिल रहा है मानदेय जिला परिषद अध्यक्ष 10000 रुपए प्रतिमाह जिला परिषद उपाध्यक्ष 7500 रुपए प्रतिमाह ए प्रतिमाह
पंचायत समिति प्रमुख 5000 रुपए प्रतिमाह
पंचायत समिति उप
मुखिया 1000 रुपए प्रतिमाह
उप मुखिया 500 रुपए प्रतिमाह मेयर 10000 रुपए प्रति माह डिप्टी मेयर 10000 रुपए प्रतिमाह वार्ड पार्षद 7000 रुपए प्रति माह