हेमंत सरकार की कृषि नीति भी हुआ सफल -मछली उत्पादन भी बढ़ा

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कृषि नीति पूरी तरह सफल हुआ।देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मछली उत्पादन आमदनी का
एक बेहतर जरिया बनता जा रहा है. झारखंड सरकार भी किसानों को इस व्यवसाय को अपनाने के लिए आर्थिक मदद कर कर रही
है. इसी कड़ी में झारखंड सरकार ने मछली पालकों को एक
बड़ी खुशखबरी दी है. झारखंड ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा
योजना के तहत मिलने वाले अनुदान को 40 प्रतिशत से
बढ़ाकर 80 फीसदी कर दिया है।
बता दें कि झारखंड में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला उम्मीदवारों को 60 फीसदी की सब्सिडी दी जाती थी. वहीं, सामान्य किसानों सब्सिडी के तौर पर 40 फीसदी मिलती थी. अब इसे बढ़ाकर सरकार ने 80 फीसदी कर दिया है. झारखंड कृषि विभाग के सचिव के मुताबिक, अभी इस फैसले को लेकर कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही इसकी अधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी. झारखंड में मछली पालन का लक्ष्य हाल के कुछ वर्षों में झारखंड में मछली पालन में उत्पादन बढ़ा है. किसान नए-नए तरीकों से मछली पालन कर अपना मुनाफा भी बढ़ा रहे हैं. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल यहां पर दो लाख 15 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था. इस साल दो लाख 57 हजार मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.
मछली उत्पादन के मामले में औसत वार्षिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मत्स्य पालन पर विशेष फोकस किया है, ताकि रोजगार के अवसर बढ़ाये जा सके. वर्ष 2024-25 तक मछली का निर्यात बढ़ाने के दिशा में भी काम किया जा रहा है. राज्य में 1056 स्थानों पर मछली बीज तैयार किए जा रहे हैं. 2015-16 में 115 मैट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था, जो 2021-22 में बढ़ कर 295 मैट्रिक टन हो गया. झारखंड में करीब 1.77 लाख हेक्टेयर का जल क्षेत्र उपलब्ध है, इसमें राज्य की कुल 16 बड़ी नदियों का जल क्षेत्र शामिल नहीं है. मछली का उत्पादन मुख्यतः तालाबों और डैम में हो रहा है. राज्य भर में 15496 सरकारी व 85849 निजी तालाब हैं. इनमें रेहू, कतला व अन्य मछलियों का पालन मत्स्य किसान कर रहे . राज्य में अब मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ- साथ बेहतर और उन्नत नस्ल की मछली लोगों तक पहुंचाने की कोशिश शुरू हो चुकी है. उन्नत किस्म की मछली ज्यादा स्वादिष्ट होगी. बीमारी से मुक्त होगी. साथ ही इसका आकार भी बड़ा होगा और जल्दी से ग्रोथ भी ह इसका सबसे अधिक फाय किसानों को होगा. क्योकि अगर उत्पादन अधिक

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