ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण की परिकल्पना अब ले रही आकार

News झारखण्ड न्यूज़ रांची न्यूज़
Spread the love

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण की परिकल्पना अब धीरे- धीरे आकार ले रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर जहां एक ओर ग्रामीणों के अनुरूप योजनाओं का सृजन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर, सखी मंडल की महिलाओं की आजीविका समृद्धि हेतु उन्हें मजबूत आधार मिलने लगा है। विगत तीन वर्ष में इसके लिए अथक प्रयास हुए, जिसका प्रतिफल है कि सामुदायिक निवेश प्राप्त स्वयं सहायता समूहों की संख्या में छह गुना वृद्धि दर्ज की गई है। 2012 से 2019 तक की अवधि में ऐसे समूहों की संख्या 31,496 थी, जबकि 2020 दिसंबर माह के बाद से अबतक इसकी संख्या 1,83,451हो गई। 2019-20 में 304, 2020-21 में 80,299, 2021-22 में 72051 एवं 2022-23 में अबतक यह संख्या 30,797 दर्ज की गई है।

सामुदायिक निवेश और चक्रिय निधि की राशि में भी वृद्धि

दिसंबर 2019 से लेकर अबतक सिर्फ सामुदायिक निवेश प्राप्त स्वयं सहायता समूहों की संख्या में ही वृद्धि दर्ज नहीं हुई है, बल्कि स्वयं सहायता समूहों को प्राप्त चक्रीय निधि और सामुदायिक निवेश की राशि में भी वृद्धि हुई है। चक्रीय निधि के तहत स्वयं सहायता समूहों को 2012-19 के बीच 12437.1 लाख रूपये निर्गत हुए, वहीं विगत तीन वर्ष में दिसंबर 2019 से अबतक 27,949.9 लाख रूपये प्राप्त हुए। इस तरह करीब ढाई गुना अधिक राशि तीन वर्ष में विभिन्न समूहों को निर्गत किया गया। 2012-2019 तक 12437.1 रूपये निर्गत हुए। जबकि 2019-20 में 3560.4 लाख, 2020-21 में 17684.73 लाख, 2021-22 में 3542.59 लाख एवं 2022-23 में 3162.18 लाख रूपये चक्रिय निधि के तहत स्वयं सहायता समूहों के बीच अबतक वितरित किया गया है। सामुदायिक निवेश की राशि की में भी चार गुना वृद्धि विगत तीन वर्ष में आई है। 2012 से 2019 तक 20524.48 लाख रूपये सामुदायिक निवेश के तहत प्रदान किया गया था। वहीं, दिसंबर 2019 से अबतक 86,816.52 लाख रूपये स्वयं सहायता समूहों को दिया गया। इस तरह 2019-20 में 152 लाख, 2020-21 में 36,367.67 लाख, 2021-22 में 34,378.6 लाख एवं 2022-23 में 15,918.25 लाख रूपये सामुदायिक निवेश के तहत स्वयं सहायता समूहों को निर्गत हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *