रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि झारखंड में बड़े पैमाने पर अवैध माइनिंग और ट्रांसपोर्टेशन में रेलवे की संलिप्तता है। सीएम ने पत्र के जरिए राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी में रेलवे अधिकारियों के सहयोग के लिए निर्देशित करने की मांग की हैं। आपको बता दें कि अवैध खनन मामले में झारखंड सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिख कर खेद जताया है कि झारखंड में अवैध खनन में रेलवे के अधिकारियों की संलिप्तता है। साथ ही राज्य सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयास के बाद भी रेलवे के अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो पन्नों के पत्र में विस्तार से इस बात का जिक्र किया है कि खनिज संपदा के अवैध परिवहन में रेलवे किस तरह साझीदार है। उन्होंने रेल मंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है, आप इस बात से सहमत होंगे कि अवैध खनन को सबसे अधिक सहयोग परिवहनकर्ताओं का प्राप्त होता है, क्योंकि बिना परिवहन की सुविधा के कोई भी व्यक्ति अवैध खनन नहीं करेगा। मुझे आपको खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि रेलवे द्वारा अवैध खनन के परिवहन की रोकथाम हेतु किए जा रहे प्रयासों में राज्य को कोई सहयोग प्रदान नहीं किया जा रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पत्र नहीं है झारखंड के सवा तीन सौ करोड़ जनता का पत्र है। जो भाजपा पार्टी और केंद्र सरकार से पूछ रही है। झारखंड में अवैध खनन अवैध खनन अवैध खनन कर भाजपा अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रही थी। आज जब अवैध खनन में रेल के अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई तो भाजपा क्यों चुप है। भाजपा और केंद्र को इसका जवाब देना चाहिए। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री ने कहा कि झारखंड में जिस तरह अवैध खनन हो रहा था उस पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब रेल अधिकारियों से सहयोग की बात करते थे तो कोई सहयोग नहीं किया जा रहा था। जिसकी वजह से आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री को पत्र लिख जांच की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने बताया है कि राज्य सरकार द्वारा अवैध खनन एवं परिवहन पर रोक के लिए जिसमे जेआईएमएमस नामक सिस्टम विकसित किया गया है। किसी भी तरह के खनिज के परिवहन के लिए इस सिस्टम के साथ इंटिग्रेशन आवश्यक है, लेकिन रेलवे ने लौह अयस्क को छोड़कर किसी भी प्रकार के खनिज के परिवहन में अपने सॉफ्टवेयर को जिम्स नामक सिस्टम से इंटीग्रेट नहीं किया है। राज्य सरकार ने यह बात नीति आयोग, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद और कोयला मंत्रालय ने बैठकों में भी उठाई है। कोयला मंत्री से व्यक्तिगत तौर पर आग्रह किए जाने के बावजूद कोयले की ट्रांसपोटिर्ंग अभी भी रेलवे जिम्स नामक इस सिस्टम का पालन नहीं कर रहा है। हेमंत सोरेन ने ईडी द्वारा साहेबगंज जिले में अवैध पत्थर खनन की जांच का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ईडी ने विगत दो वर्षों में इस जिले से विभिन्न लोडिंग प्वाइंट से तीन हजार पांच सौ इकतीस से अधिक रेलवे रैक के जरिए बगैर चालान पत्थर के ट्रांसपोर्टेशन का आरोप लगाया है। इसमें रेलवे के अधिकारियों की संलिप्तता साफ तौर पर परिलक्षित होती है।
