झारखंड उच्च न्यायालय में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की निविदा घोटाले पर रोक: भ्रष्टाचार के खिलाफ हेमंत सोरेन सरकार की प्रतिबद्धता

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रांची, 12 जून 2025: झारखंड के प्रतिष्ठित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU), रांची में आउटसोर्सिंग के माध्यम से सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति के लिए एजेंसी चयन में हुए कथित घोटाले ने एक बार फिर प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल खड़े कर दिए हैं। झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले में मैसर्स शिवा प्रोटेक्शन और विश्वविद्यालय प्रबंधन के बीच हुए इकरारनामे पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की की पारदर्शी और जनहितकारी शासन व्यवस्था की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं

मैसर्स कोबरा संस्थान ने निविदा प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में निम्नलिखित गंभीर आरोप लगाए गए हैं:

1. **न्यूनतम दरदाता की अनदेखी**: निविदा प्रक्रिया में न्यूनतम दर प्रस्तुत करने वाली एजेंसी को दरकिनार कर मैसर्स शिवा प्रोटेक्शन को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
2. **श्रम कानूनों का उल्लंघन**: मैसर्स शिवा प्रोटेक्शन ने श्रम कानूनों के तहत निर्धारित दरों का पालन नहीं किया, फिर भी उसे चयनित किया गया।
3. **फाइनेंशियल बीड से पहले कार्य आदेश**: फाइनेंशियल बीड खोलने की तिथि से पहले ही मैसर्स शिवा को कार्य आदेश जारी कर दिया गया, जो नियमों का खुला उल्लंघन है।
4. **केंद्रीय सतर्कता आयोग के नियमों की अवहेलना**: निविदा की शर्तों से हटकर एक नया मार्किंग सिस्टम लागू कर मैसर्स शिवा को जबरन न्यूनतम दरदाता घोषित किया गया, जो केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है।

इन आरोपों ने न केवल विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि कुछ तत्व सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर निजी हितों को साधने का प्रयास कर रहे हैं।

### उच्च न्यायालय का सख्त रुख
झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मैसर्स शिवा प्रोटेक्शन और विश्वविद्यालय प्रबंधन के बीच हुए इकरारनामे पर अंतरिम रोक लगा दी। यह फैसला न केवल निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग को बल देता है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका को भी रेखांकित करता है। कोर्ट का यह कदम उन सभी लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की आकांक्षा रखते हैं।

### हेमंत सोरेन और शिल्पी नेहा की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। उनकी सरकार ने न केवल पारदर्शी प्रशासन को बढ़ावा दिया है, बल्कि झारखंड के संसाधनों का उपयोग जनकल्याण के लिए सुनिश्चित किया है। हाल ही में होटवार में मेधा मिल्क पाउडर डेयरी प्लांट की आधारशिला रखने जैसे कदम दर्शाते हैं कि उनकी सरकार कृषि और डेयरी क्षेत्र में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने भी इस दिशा में सराहनीय कार्य किया है। उनके नेतृत्व में कृषि विभाग ने किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। झारखंड कृषि ऋण माफी योजना के तहत 1,76,977 किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ किए गए, जिससे किसानों को आर्थिक राहत मिली। शिल्पी नेहा की उपस्थिति और सक्रियता ने यह साबित किया है कि वह न केवल नीतिगत स्तर पर, बल्कि जमीनी स्तर पर भी जनता के हितों के लिए समर्पित हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का यह मामला एक बार फिर यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार समाज के लिए कितना बड़ा खतरा है। यह न केवल संसाधनों का दुरुपयोग करता है, बल्कि उन लोगों का हक भी छीनता है जो पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया के हकदार हैं। हेमंत सोरेन सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीतियां इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। उनकी सरकार ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, बल्कि जनता को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा, रोजगार, और कृषि जैसे क्षेत्रों में ठोस कदम उठाए हैं I

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