पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तभी हमारा अस्तित्व रहेगा। लेकिन, आज विकास की अंधी दौड़ में जो पैमाने तय किए जा रहे हैं, वहां पर्यावरण पूरी तरह हाशिये पर है। अगर आज हम नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी को इसका खतरनाक अंजाम भुगतना होगा। इसलिए पर्यावरण संरक्षण में हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी । अगर हर इंसान इस दिशा में थोड़ा भी योगदान करे तो निश्चित तौर पर पर्यावरण को बेहतर बना सकते हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा। उन्होने कहा कि तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के कारण उत्पन्न संकट पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हम पर्यावरण के साथ अपने आप को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अगर हम इसे नहीं समझे तो फिर इसके परिणाम भुगतने को भी तैयार रहें मेरा मानना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ी मुहिम चलाने से बेहतर है कि हर व्यक्ति इस दिशा में अपना योगदान दें । अगर यह शुरुआत करने में सफल होते हैं तो पर्यावरण का नुकसान तो रुकेगा ही, उसकी भरपाई भी करने में कामयाब होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर तरह-तरह के अनुसंधान हो र हैं। करोड़ों -अरबों रुपए की लागत वाली बड़ी-बड़ी मशीनों से प्रदूषण को साफ करने की कोशिशे हो रही है, फिर भी पर्यावरण का जो नुकसान हो रहा है, उसे रोकने में बहुत कामयाब नहीं हो रहे हैं। मेरा कहना है कि जितने रुपए बड़ी-बड़ी मशीनों के खरीदने में खर्च किए जा रहे हैं, अगर उस पैसे से पेड़ लगाया जाए तो वह स्वच्छ पर्यावरण के लिए ज्यादा कारगर साबित होगा । मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सकारात्मक सोच के साथ सरकार लगातार प्रयास कर रही है। हमारी सरकार शहरों में अपने घरों में एक पेड़ लगाने पर 5 यूनिट बिजली फ्री दे रही है। इसके अलावा शहरों के बीच हरियाली का दायरा बढ़ाने की कोशिशें लगातार जारी है। सरकारी महकमा स्पष्ट निर्देश है कि पेड़ लगाने और उसके संरक्षण के लिए हर मुमकिन कदम उठाए जाएं। इतना ही नहीं, जंगलों में और उसके कई किलोमीटर की परिधि में आरा मशीन लगाने को प्रतिबंधित कर दिया गया है। ये सभी प्रयास पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में हो रहा है। आगे भी सरकार इस दिशा में कई और निर्णय लेने जा रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमारी सरकार ने विभिन्न कार्यक्रमों में बुके की बजाए पौधे देने की परंपरा शुरू की है जिसका सीधा संबंध पर्यावरण संरक्षण से है। मुख्यमंत्री हेमंत ने 1990 के दशक को याद करते हुए कहा कि उस समय रांची की आबोहवा ऐसी थी कि घरों में पंखे लगाने के लिए हुक भी नहीं हुआ करते थे मौसम हमेशा खुशनुमा बना रखा था, लेकिन आज पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। जिससे यहां के सुहाने मौसम को छीन लिया है। ऐसे में आने वाली पीढ़ी को जो वातावरण देने जा रहे हैं, वह अच्छा संकेत नहीं है। इसलिए, यह संकल्प ले कि अपने घर में कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएंगे। इस दिशा में हर व्यक्ति अपना योगदान करे तो निश्चित तौर पर हमारा पर्यावरण साफ – सुथरा, स्वच्छ और सुहाना होगा। पर्यावरण बचाने की मुहिम में एक बड़ा कदम उठाते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नया ऐलान किया है. हेमंत सोरेन ने कहा है कि एक पेड़ लगाकर उसे संरक्षित करने को 5 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी. पहले ही हेमंत सोरेन की झारखंड सरकार ने राज्य के लोगों को 100 यूनिट बिजली फ्री देने का ऐलान किया था. हेमंत सोरेन ने फ्री बिजली देने का ऐलान किया है. हालांकि, नई योजना के तहत हेमंत सोरेन की सरकार ने कहा है कि निजी कैंपस यानी अपने घर या खेत में पेड़ लगाकर उसे संरक्षित रखने वाले को इस योजना का फायदा मिलेगा. इसका मतलब यह है कि अगर आप एक पेड़ लगाते हैं और उसे संरक्षित करके रखते हैं तो आपको ह महीने 5 यूनिट बिजली फ्री मिलती रहेगी. हेमंत सोरेन ने एक ट्वीट में लिखा, मै घोषणा करता हूं कि झारखण्ड के शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोग अगर अपने घर के कैंपस में पेड़ लगाते हैं और उसका संरक्षण करते हैं तो उन्हें प्रत्येक पेड़ पर 5 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी. शहरी क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने के लिए जरूरी है कि एक पेड़ लगाएं। हेमंत सोरेन ने कहा, “शहरी क्षेत्रों के कंक्रीटीकरण को ध्यान में रखते हुए, सरकार एक व्यक्तिगत परिसर में प्रत्येक पेड़ को लगाने और उसकी रक्षा करने के लिए पांच यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान करेगी।” हालांकि यह ऑफर किसी भी प्लांट पर लागू नहीं होगा । “यह एक उचित पेड़ होना चाहिए, जो भविष्य में प्रकृति के संरक्षण में मदद करेगा,” उन्होंने कहा झारखंड में वृक्षों का आवरण घट रहा है। वृक्षों का आच्छादन वन क्षेत्रों के बाहर छोटे-छोटे वृक्षों के टुकड़े और अलग- थलग पड़े वृक्ष हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण के विश्लेषण के अनुसार, डेटा कहता है कि पिछले एक दशक में झारखंड में वृक्षों के आच्छादन में 47 वर्ग किमी की गिरावट आई है। झारखंड का वृक्षावरण 2,867 वर्ग किलोमीटर दर्ज किया गया, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 3.6% है। 2011 में, राज्य का वृक्षावरण 2,914 वर्ग किमी था। हालाँकि, राज्य का वन आवरण एफएसआई 2011 में 22,977 वर्ग किमी से बढ़कर एफएसआई 2021 में 23,721 वर्ग किमी हो गया है। “बढ़ता शहरीकरण पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है क्योंकि यह शहरों से हरियाली के गायब होने का कारण बन रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड तुलनात्मक रूप से कोविड-19 महामारी से सुरक्षित रहा, जो केवल इसलिए संभव हो पाया क्योंकि राज्य को हरियाली का आशीर्वाद प्राप्त है।” हेमंत सोरेन ने कहा, “मैं विकास के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन प्रकृति को नष्ट करने के खिलाफ हूं।”
हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने सुना है कि केंद्र एक ऐसा काम कर रहा है जिसके तहत पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. अगर ऐसा होता है, तो झारखंड के जंगल सुरक्षित नहीं रहेंगे.” मुख्यमंत्री ने कहा कि इस राज्य का नाम जंगलों पर आधारित है और झारखंड में सबसे अधिक आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं जिनका जीवन जंगल, नदी, पहाड़ पर्वत के इर्द-गिर्द ही कटता है। उन्होंने कहा कि कई मायनों में हमारा राज्य प्राकृतिक रूप से काफी धनी है।
उन्होंने कहा कि झारखंड के जंगलों में पेड़ों को कटने से बचाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि वन आधारित क्षेत्रों में अब आरा मशीन संयंत्र नहीं लगेगा। जो भी आरा मशीनें पहले से स्थापित हैं उन्हें भी हटाने का निर्देश दिया गया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों के महत्व को समझने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी समेत कई प्राकृतिक आपदाएं अच्छा संकेत नहीं दे रही हैं, समय रहते हम अगर जल, जंगल और जमीन को नहीं सहेज सके तो यह दुःखद होगा। पांच यूनिट बिजली फ्री देने का मकसद
राज्य के शहरी क्षेत्रों में हरित आवरण में सुधार करना और वृक्षारोपण मिशन में प्रत्येक व्यक्ति को शामिल करना है।