हजारीबाग लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला हो सकता है. भाजपा विधायक मनीष जायसवाल यहां प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस से जयप्रकाश भाई पटेल का टिकट कन्फर्म माना जा रहा है. हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. भाजपा ने सीटिंग सांसद जयंत सिन्हा का टिकट काटकर मनीष जायसवाल को यहां अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन अगर जेपी पटेल चुनाव लड़ते हैं, तो मनीष जायसवाल के लिए राह आसान नहीं होगी. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि मनीष हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र से लीड तो ले लेंगे, लेकिन बाकी के 4 विधानसभा क्षेत्र (बड़कागांव, रामगढ़, मांडू और बरही में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. लोकसभा चुनाव में दोनों ही प्रत्याशी नए होंगे. दोनों विधानसभा से सीधे लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इस बार भी चुनाव में मोदी मैजिक चला, तो मनीष की बल्ले-बल्ले हो सकती है, वहीं कास्ट फैक्टर चला तो पटेल को फायदा हो सकता है.
कुर्मी, वैश्य, कुशवाहा और तेली वोटर्स तय करते हैं सांसद
जातिगत समीकरण के हिसाब से देखेंस, तो हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार के भाग्य का फैसला में वैश्य और कुशवाहा वोटर्स करते हैं. यहां करीब 60 हजार वैश्य, जबकि 1.20 लाख कुशवाहा मतदाता हैं. ग्रामीण इलाकों में कुर्मी वोटरों का दबदबा है. 2019 में इन तीनों जातियों का वोट मनीष जायसवाल को मिला था. इस बार अगर जेपी पटेल कांग्रेस से लड़ते हैं, तो कुशवाहा और कुर्मी समुदाय के वोटों का ध्रुवीकरण होने की संभावना बढ़ जाएगी. वहीं बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में तेली और कुशवाहा वोटरों की संख्या 50-50 हजार से अधिक है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 40 हजार से अधिक है. यहां साहू और महतो का दबदबा है. ऐसे में तेली, कुशवाहा और कुर्मी वोटर्स का ध्रुवीकरण जिसके पक्ष हुआ, उसकी स्थिति मजबूत रहेगी.
मांडू में कुर्मी व तेली समाज के वोटर्स ही निर्णायक
मांडू विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी की भाग्य का फैसला यहां के कुर्मी और तेली समाज के वोटर्स करते हैं. जेपी पटेल यहां के सीटिंग विधायक हैं. ऐसे में उन्हें मांडू विधानसभा क्षेत्र के वोटों को लेकर खास चिंता नहीं होगी. वहीं बरही विधानसभा क्षेत्र में यादव, हरिजन, मुस्लिम और पिछड़ी जाति के वोटरों का दबदबा है. यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही वोट के लिए संघर्ष करना होगा. रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी कुर्मी और वैश्य वोटरों की संख्या ज्यादा है. यहां कुर्मी प्रत्याशी ही चुनाव जीतते रहे हैं. ऐसे में यहां जेपी पटेल की राह आसान और मनीष जायसवाल की राह मुश्किल हो सकती है.
फिलहाल तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का दबदबा
अगर विधानसभावार देखें, तो यहां भाजपा और कांग्रेस में बराबर की टक्कर है. पांच विधानसभा सीटों में से दो सीट बड़कागांव और बरही में कांग्रेस का कब्जा है. वहीं हजारीबाग और मांडू में भाजपा का कब्जा है. जयप्रकाश मांडू से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन फिलहाल कांग्रेस में है. वहीं रामगढ़ में 2019 में कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. बाद में हुए उपचुनाव में यह सीट आजसू के पास चली गई. इस लिहाज से देखें तो बड़कागांव, बरही और मांडू में कांग्रेस का दबदबा नजर आता है. रामगढ़ में भी बराबर का टक्कर है.