पूरे विश्व सहित भारत और झारखंड में जलवायु परिवर्तन के जैसा असर हो रहा है उसे कृषि और किसान दोनों प्रभावित हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का पहले से ही उनके खेत पर बड़ा प्रभाव पड़ा है, और इससे भी अधिक वे भविष्य में इसके प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। उनकी इसी चिंता को दूर करने के लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने वैकल्पिक खेती-बाड़ी पर अपना फोकस कर दिया है। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि मौसम का रुख देखने हुए नई फसलों या फसल प्रणालियों से कृषि उत्पादन को जोड़ने का एक्शन प्लान तैयार करें। किसानों को वैकल्पिक खेती करने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए सीएम ने मिलेट्स, मोटे अनाज, दाल और सीड की खेती के लिए प्रेरित करने, सरकार के सहयोग से ज्यादा से ज्यादा डेयरी प्लांट लगाने, पशुधन को बढ़ावा देने सहित वन उपज के बाजार पर ध्यान देने पर जोर दिया है।
मोटे अनाज की खेती के लिए 51 करोड़ का बजट, 50,000 हेक्टेयर में खेती करने का लक्ष्य।
झारखंड में मोटे अनाज की खेती के लिए परिस्थितियां तो काफी अनुकूल है। मौसम की इन परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों के बीच मडुआ, गोंदली, ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी और सावां जैसे अनाज की बीज बाटें जा रहे हैं। उन्हें मोटे अनाज की खेती करने के लिए कहा जा रहा है। हेमंत सरकार ने मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए 51 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। इसके अलावा इस साल 50,000 हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। झारखंड राज्य कृषि विभाग के सहयोग से किसान महासभा राज्य में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रंखंडों के पंचायतों में श्रीअन्न कार्यशाला का आयोजन कर रही है। बीते मई माह को रामगढ जिला के गोला प्रखण्ड के हुप्पु पंचायत भवन में झारखण्ड किसान महासभा के द्वारा श्रीअन्न पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
सीएम की घोषणा, जितनी जरूरत पड़ेगी,यहां और भी डेयरी प्लांट खोले जायेंगे।
गौपालन के जरिए भी किसानों की आय बढ़ाने पर हेमंत सोरेन सरकार का जोर है। राज्य को दूध उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पलामू के मेदिनीनगर में दूर डेयरी प्रोसेसिंग प्लांट का उद्घाटन किया है। सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है जितनी जरूरत पड़ेगी, डेयरी प्लांट खोले जायेंगे। राज्य के किसानों को पशुधन की योजनाओं से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर बायोप्लांट लगाने का काम किया जा रहा है। बायोप्लांट के सफलतापूर्वक संचालन होने से लोगों को गैस सिलेंडर पर निर्भरता घटेगी साथ ही इससे जो स्लरी निकलेगा उसे जैविक खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। मेधा स्लरी प्रसंस्करण इकाई द्वारा किसानों से स्लरी भी खरीदे जाएंगे, जिससे किसानों को एक अन्य आय का साधन भी प्राप्त होगा।
वैकल्पिक खेती के लिए ही मुख्यमंत्री पशुधन योजना लेकर आई है सोरेन सरकार।
वैकल्पिक खेती के तहत किसानों को पशुधन से समृद्ध करने के लिए सोरेन सरकार मुख्यमंत्री पशुधन योजना चला रही है। इसके तहत 90 प्रतिशत सब्सिडी पर किसानों- पशुपालकों को पशु दिए जा रहे हैं। पशु शेड के लिए भी सरकार आर्थिक मदद कर रही है। राज्य सरकार के राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पशुपालकों को दूध पर 3 प्रति लीटर की दर से प्रोत्साहन राशि दे रही है। पिछले दिनों पलामू में एक कार्यक्रम में पहुंचे सीएम ने किसानों- पशुपालकों के लिए प्रोत्साहन राशि के तौर पर 21.90 करोड़ 90 लाख रुपए का चेक मेधा डेयरी के एमडी को सौंपा गया।
फसलों के नुकसान होने पर उसकी भरपाई पर भी सोरेन सरकार का ध्यान।
कृषि के हित में हर संभव काम कर रही सोरेन सरकार फसलों के नुकसान होने पर उसकी भरपाई पर भी ध्यान रखी है। सोरेन सरकार ने घोषणा की है कि झारखंड राज्य फसल राहत योजना के अंतर्गत आपदा के कारण 50 प्रतिशत से अधिक फसल की क्षति पर किसानों को प्रति एकड़ 04 हजार रुपए तक की सहायता राशि दी जाएगी। सीएम के निर्देश के बाद कृषि विभाग ने खरीफ फसल के लिए 15 अक्टूबर तक ऑनलाइन आवेदन देने की बात किसानों से की है। 30 से 50 प्रतिशत तक फसल की क्षति होने पर आवेदक को प्रति एकड़ 3,000 रुपए तक सहायता दी जाएगी। अधिकतम 5 एकड़ तक फसल क्षति की सहायता राशि दी जाएगी।