जनजातीय आभूषण को वैश्विक बाजार से जोड़ने की झारखंड सरकार की दूरदर्शी पहल

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हस्तशिल्प  से मूल्य संवर्धन बाजार तक: जनजातीय आभूषण उद्योग को उभारने की राज्य सरकार की पहल

पारंपरिक कारीगरी को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम

कारीगरों से लेकर उद्यमियों तक,झारखंड सरकार की नई पहल भविष्य की ‘हस्त निर्मित इकॉनॉमी’ को देंगी गति


नई दिल्ली: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में फोकस स्टेट के रूप में शामिल झारखंड पवेलियन इस वर्ष दर्शकों का खास आकर्षण बना हुआ है, जहां प्रदर्शित पारंपरिक आदिवासी एवं सिल्वर आभूषण दर्शकों को अपनी ओर खींच रही है।झारखंड सरकार द्वारा स्थापित यह पवेलियन राज्य की सांस्कृतिक विरासत, कारीगरी, कुटीर उद्योग, महिला उद्यमिता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रहा है ।वहीं सरकार का उद्देश्य स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और उद्यमियों को बड़े बाजारों से जोड़ना, उनके उत्पादों को व्यापक पहचान दिलाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।

*झारखंड की प्रसिद्ध पारंपरिक जनजातीय आभूषण, फैशन की मांग*

झारखंड की प्रसिद्ध आदिवासी आभूषण जैसे हंसुली, ठेला, पैरी, बंगारी तथा अन्य चांदी एवं धातु के आभूषण अपने अनूठे डिजाइन, पारंपरिक तकनीक और सांस्कृतिक महत्व के कारण लोगों को बेहद पसंद आ रहे हैं। स्टॉल संचालिका गीता रानी ने बताया कि विशिष्ट डिजाइन, सांस्कृतिक पहचान और किफायती कीमतों ने झारखंड के आभूषण को दर्शको के बीच तेजी से पसंदीदा बनाया है। पवेलियन में युवाओं की बढ़ती रुचि और मौजूदगी से स्पष्ट है कि पारंपरिक फैशन की मांग बढ़ रही है।


भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में जनजातीय कला को मिला है व्यापक मंच

सरकार द्वारा किए गए प्रयासों जैसे स्टॉल सब्सिडी, उत्पाद प्रमोशन, बाजार अंतसंबर्धन, डिज़ाइन विकास सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रम ने स्थानीय समुदायों को नई पहचान दिलाई है। इस सक्रिय सहयोग के परिणामस्वरूप न केवल आदिवासी कला को व्यापक मंच मिला है, बल्कि झारखंड को पारंपरिक कला, सिल्वर आभूषण और हस्तशिल्प के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का अवसर भी मजबूत हुआ है।

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