झारखंड की हेमंत सरकार श्रमिकों के प्रति संवेदनशील

झारखण्ड
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झारखंड में श्रमिकों के प्रति संवदेनशील हेमंत सोरेन सरकार ने ठेका मजदूरों की मजदूरी में जुड़े महंगाई भत्ता में वृद्धि कर दी है। इससे विभिन्न कैटेगरी के मजदूरों की मजदूरी में लगभग सवा दो हजार से लेकर साढ़े तीन हजार रुपये तक की बढ़ोत्तरी हो गई है। श्रमिकों के प्रति संवदेनशील सरकार ने ठेका मजदूरों की मजदूरी में जुड़े महंगाई भत्ता में वृद्धि कर दी है।
इससे विभिन्न कैटेगरी के मजदूरों की मजदूरी में लगभग सवा दो हजार से लेकर साढé तीन हजार रुपये तक की बढ़ोत्तरी हो गई है। सरकार ने ठेका मजदूर (विनियमन एवं उन्मूलन) 1972 के नियम-25 के उपनियम (2) के खण्ड (ङ्क) के उप खण्ड (ड्ढ) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ठेका श्रमिकों की सेवा शर्तों एवं देय मजदूरी का निर्धारण किया है। श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग द्वारा 01.04.2023 तिथि से अधिसूचित परिवर्तनशील महंगाई भत्ता की दरें तय की गईं हैं, जो ठेका श्रमिकों को देय होंगी। इसके लिए सरकार ने आदेश निर्गत कर दिया है। इसके तहत वर्ष 2020 के अकुशल श्रमिकों को देय मजदूरी प्रतिमाह 8,571.78 रुपये थी, उसमे अप्रैल 2023 से परिवर्तनशील महंगाई भत्ता मद में 2,220.94 रुपये का इजाफा किया गया है। अब ऐसे श्रमिकों को प्रतिमाह 10,792.72 रुपये दिये जाएंगे। अर्द्धकुशल श्रमिकों को वर्ष 2020 में 8,977.47 रुपये देय था, लेकिन इनके मंहगाई भत्ता में अप्रैल 2023 से 2,326.06 रुपये बढ़ाया गया है। अब ऐसे श्रमिकों को प्रतिमाह 11,303.53 रुपये प्राप्त होंगे। कुशल श्रमिकों को वर्ष 2020 में देय मजदूरी प्रतिमाह 11,935.06 रुपये थी। ऐसे श्रमिकों को अब 3,092.37 रुपये महंगाई भत्ता देने के उपरांत 15,027.43 रुपये देय होगा। वहीं अति कुशल श्रमिकों को वर्ष 2020 में 13,675.59 रुपये मिलते थे, लेकिन परिवर्तनशील महंगाई भत्ता 3,543.34 रुपये बढèने से अब ऐसे श्रमिकों को 17,218.93 प्रतिमाह प्राप्त होगी।
पहली बार नहीं हुआ हेमंत सोरेन सरकार मजदूरों के प्रति संवेदनशील हुई है यह सरकार हमेशा मजदूरों के प्रति संवेदनशील रही है, जब देश और विदेशों में फंसे कामगारों की सुरक्षित वापसी का कार्य किया गया हो। ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं, जब सरकार कामगारों के सम्मान में आगे आई है। कोरोना संक्रमण काल में झारखंड अपने श्रमिकों को प्लेन, ट्रेन और अन्य परिवहन के माध्यम से वापस लाने वाला पहला राज्य था। सरकार को राज्य के श्रमिकों और कामगारों की चिंता थी और यही वजह रही कि अचानक लगे लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों के देश के विभिन्न राज्यों में फंसने की जानकारी मिलते ही सरकार ने सबसे पहले उनके लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था की। तत्पश्चात लद्दाख, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे श्रमिकों एवं कामगारों को लाने का कार्य शुरू किया गया। हजारों की संख्या में श्रमिक अपने घर लौटे सकें।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमारी सरकार मजदूरों, किसानों के प्रति संवेदनशील है। मैं खुद किसान व मजदूर का बेटा हूं इसलिए मैं इनका दर्द बखूबी समझता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी जान चली जाए लेकिन मजदूरों को मरने नहीं दूंगा। उनकी हकमारी कोई नहीं कर पाएगा। राज्य सरकार श्रम कानून के प्रावधानों के अनुरूप उन्हें हर संभव सहायता मुहैया कराएगी।
आने वाले समय में व्यवस्थाएं मजदूर को समर्पित होंगी। कोई किसान, श्रमिक नहीं मरेगा, इसके लिए मुझे ही क्यों न अपनी जान देनी पड़े। नमन आप श्रमिकों, किसानों को । मुख्यमंत्री ने कहा मेरे झारखंडी भाइयों को मैं भरोसा देता हूं कि उनके अधिकार की रक्षा के लिए उनका यह भाई हमेशा खड़ा है।

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