“जोहार” “सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय” अर्थात “प्रकृति के प्रति संपूर्ण समर्पण का भाव ही जोहार है”. झारखंड में अब कार्यक्रमों का शुभारंभ “जोहार” शब्द के संबोधन से शुरू होगा. कार्यक्रम में कोई भी सरकारी अफसर व कर्मचारी, नमस्ते, प्रणाम आदि से अपना संबोधन शुरू नहीं करेंगे. जोहार शब्द अब किसी भी कार्यक्रम के शुभारंभ का संकेत होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह निर्देश दिया है कि अफसर व कर्मी किसी भी कार्यक्रम में जोहार शब्द से अपना संबोधन शुरू करे।
राज्य सरकार के सभी कार्यक्रम अब जोहार से शुरू होंगे। सरकार द्वारा आयोजित सभी सरकारी समारोहों में अब अतिथियों का अभिवादन ‘जोहार’ से किया जाएगा। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी कि प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह ने निर्देश जारी किया है।ज्ञात है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विभिन्न कार्यक्रमों में जोहार शब्द के इस्तेमाल पर बल देते हुए अधिकारियों को निर्देशित करते आए हैं। प्रधान सचिव के निर्देश में कहा गया है कि झारखंड की पहचान एक जनजातीय बाहुल्य राज्य के रूप में है। यहां जोहार बोलकर अभिवादन करने की परम्परा है। ऐसे निर्णय लिया गया है कि सरकारी कार्यक्रमों में अभिवादन लिए जोहार का इस्तेमाल हो ।
अतिथियों के लिए पुष्प गुच्छ का इस्तेमाल होगा बंद यह भी निर्णय लिया गया है कि राजकीय कार्यक्रमों व समारोहों में अतिथियों के स्वागत के लिए पुष्प गुच्छ या एक पुष्प का उपयोग नहीं किया जाए। पौधा, पुस्तक, शॉल, मोमेंटो आदि देकर स्वागत किया जा सकता है। इस संबंध में पूर्व के आदेश में संशोधन किया गया है।
