17 से फिर खतियानी जोहार यात्रा

सीएम हेमन्त करेंगे जनता से मुलाकात

झारखण्ड
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जनता को जगाने और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य से शुरू हुई मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की खतियानी यात्रा का दूसरा चरण अब 17 जनवरी से शुरू होगा। कांग्रेस से मंत्री आलमगीर आलम और राजद से मंत्री सत्यानंद भोक्ता भी साथ रहेंगे। खतियानी जोहार यात्रा अब तीन नहीं चार चरणों में पूरी होगी।
अब जनवरी, फरवरी और मार्च में वह हर महीने छह जिलों, कुल 18 जि जनवरी को कोडरमा, 18 जनवरी को गिरिडीह, 23 जनवरी को सिमडेगा, 24 जनवरी को चाईबासा, 30 जनवरी को सरायकेला, 31 जनवरी को जमशेदपुर जाएंगे।
खतियानी जोहार यात्रा को सफल बनाने के उद्देश्य से मंगलवार को झामुमो मुख्यालय में विनोद कुमार पांडेय की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें दूसरे चरण के जिले सिमडेगा और चाईबासा जिले के पार्टी पदाधिकारी व केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल हुए। नेताओं- कार्यकर्ताओं को यात्रा को सफल बनाने के लिए प्रचार प्रसार का निर्देश दिया गया।
खतियान आधारित स्थानीय नीति पर जनता की राय झारखंड मुक्ति मोर्चा भले ही सार्वजनिक मंचों से 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को विधानसभा से पारित करा लेने को बड़ी सियासी जीत बताती हो लेकिन सियास गलियारों में एक तबका ऐसा भी है जिसका मानना है कि झामुमो अथवा गठबंधन सरकार इसका उतना लाभ नहीं ले सकी जितनी उम्मीद थी। आम जन में इसे लेकर एक उदासीनता है। केंद्र के पाले में गेंद डालने का जो दांव सरकार चला था, बीजेपी संभवत जनता को ये बताने में कामयाब रही है कि खतियान आधारित स्थानीय दरअसल, सरकार का चुनावी स्टंट भर है। ऐसे में सियासी पंडितों का मानना है कि अब मुख्यमंत्री खुद जनता के बीच जा-जाकर खतियान आधारित स्थानीय नीति का प्रचार-प्रसार करना चाहते हैं। ताकि उनका मास्टरस्ट्रोक कहीं फेल ना हो जाए। हाल ही में मंत्री मिथिलेश ठाकुर की अगुवाई में हुई झामुमो की बैठक में यह तय किया गया कि पोस्टर और बैनरों के जरिए कार्यकर्ता के बीच बताएंगे।
कानूनी रूप से मुश्किलों में घिरे हैं सीएम हेमंत सोरेन बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस समय कानूनी रूप से दो-दो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। एक ओर जहां खनन पट्टा लीज को लेकर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग का मंतव्य राजभवन आ गया है।
11 नवंबर को विधानसभा से पास हुआ था विधेयक गौरतलब है कि हेमंत सोरेन सरकार ने बीते 11 नवंबर को विधानसभा का 1 दिवसीय विशेष सत्र बुलाकर 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति को सदन से पास करा लिया। इसे अब संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया है। झारखं मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार इसे बड़ी सियासी जीत के तौर पर देख रही है क्योंकि झारखंड में लंबे समय से इसकी मांग रही है। जनवरी 2022 से इसे लेकर खूब आंदोलन भी हुए। सियासी जानकारों का मानना है कि झारखंड में 1932 का खतियान जनभावना से जुड़ा मुद्दा है। आदिवासियों को इसके जरिए लामबंद किया जा सकता है। शायद यही वजह रही कि किसी भी पार्टी ने इसका विरोध नहीं किया। हालांकि, मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने जरूर कहा कि इसे केंद्र के पास भेजने की जरूरत नहीं थी सरकार संकल्प पारित करा कर भी इसे लागू कर सकती थी।

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