मोहर्रम का इतिहास जाने

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मुहर्रम, इस्लामिक लूनर कैलेंडर का पहला महीना है। यह इस्लामी धर्म में एक पवित्र महीना माना जाता है। इस्लामी कैलेंडर चंद्रमा चक्र पर आधारित होता है, इसलिए प्रत्येक महीने की लंबाई या तो 29 दिन या 30 दिन की होती है, और हर साल इस्लामी महीने ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक पिछड़ते हैं।

मुहर्रम का महत्व इस्लामी इतिहास में हुए कुछ घटनाओं में होता है। इनमें से सबसे प्रमुख घटना है करबला का युद्ध, जो मुहर्रम के दसवें दिन यानी 61 ई.ह. (हिजरी के बाद) को हुआ था, जिसके मुताबिक 10 अक्टूबर, 680 ई.सी. को हुआ था। इस युद्ध में प्रवित्री मुहम्मद के पोते और उनके साथियों के शहीद हो जाने का इतिहास है। यह शिया मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण घटना है, जिसे वे मुहर्रम के पहले दस दिनों में शोक और गंभीर प्रवेशन के साथ याद करते हैं।

सुन्नी मुस्लिम भी मुहर्रम को धार्मिक महत्व देते हैं। मुहर्रम के 10वें दिन को अशूरा के रोज़े का पालन करने का समर्थन किया जाता है। इस दिन का रोज़ा मांगने से पाप क्षमा करने और प्रवित्री मूसा और इजरायलियट जनता के फ़िरौन से मुक्ति की याद की जाती है।

ध्यान देने योग्य है कि मुहर्रम का त्योहार मुस्लिम समुदायों में धार्मिक विशेषता रखता है, लेकिन इसका उपासना का तरीका सुन्नी और शिया समुदायों के बीच भिन्न हो सकता है। साथ ही, कुछ संस्कृतिक अभिवृद्धियां क्षेत्र और स्थानीय रीति-रिवाज़ों के आधार पर भी भिन्न हो सकती हैं।




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