स्थानिय भाषा सामाजिक, सांस्कित्तिक व आर्थिक मजबूती में बढ़ाती हैं वैज्ञानिक समझ

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विकास चाहे आर्थिक हो, औद्योगिक हो, सांस्कृतिक, सामाजिक हो, या वैज्ञानिक हो एक निर्भर होता है। कोई भी देश केवल किसी एक क्षेत्र में विकास कर अग्रसर नहीं हो सकता सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास के बिना कोई भी देश पूर्ण विकास नहीं कर सकता। किसी देश संवृद्धि के बिना उसका सामाजिक और सांस्कृतिक विकास संभव नहीं है। भाषा हमारे देश की विविध संस्कृति को एक सूत्र में जोड़ने का काम करती है। अतः इस निरंतर विकास को बनाए रख हिन्दी की मजबूती एवं विकास को नकारा नहीं जा सकता है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सभी भाषा-संस्कृति की अपनी अलग अहमियत है. इससे उस भाषा से जुड़े समुदाय को अलग पहचान मिलती है. इसे संरक्षित और आगे बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है. भाषा की पकड़ जितनी मजबूत होगी, उतना ही मजबूत हमारा समाज और राज्य होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हर किसी को अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की जो संरचना है, उसने अलग-अलग भाषा और संस्कृति का व्यापक प्रभाव है. हमारी सरकार भाषा और संस्कृति के साथ राज्य को आगे ले जाने का लगातार प्रयास कर रही है. यहां रहने वाले हर समाज को मान-सम्मान के साथ जीने का मौका मिले, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड का जो भौगोलिक परिवेश है, उसमें कमोबेश सभी जिले की सीमा किसी ना किसी राज्य के साथ जुड़ी हुई है. विशेष कर पश्चिम बंगाल के साथ झारखंड के सबसे ज्यादा जिले जुड़े हैं. ऐसे में बांग्ला भाषा और संस्कृति का यहां प्रभाव पड़ना लाजमी है. यहां ऐसे कई लोग हैं जिनकी संपत्ति झारखंड और बंगाल दोनों राज्यों में है. सबसे बड़ी बात की बंगाल से उड़ीसा और बिहार राज्य बना एवं बिहार से झारखंड अलग राज्य बना. ऐसे में किसी ना किसी रूप में बांग्ला भाषा- संस्कृति यहां की धरती में रची बसी है. ऐसे में बिना भाषा के झारखंड के सांस्कृतिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत विभिन्न धर्म- समुदाय, भाषा, संस्कृति, रहन – सहन और वेशभूषा वाला देश है. यही विविधता में एकता हमारी देश की पहचान है. यह हमारे देश को मजबूती देती है और पूरी दुनिया इसका लोहा मानती है.

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