दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में कुल 39 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से चेन्नई सेंट्रल लोकसभा सीट की बात की जाए तो यह देश के सबसे छोटे संसदीय क्षेत्रों में से एक है। इस सीट पर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) का दबदबा रहा है। चेन्नई सेंट्रल संसदीय क्षेत्र के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें विलिवक्कम, एग्मोर, हार्बर, चेपक थिरुवल्लिकेनी, थाउजेंड लाइट्स और अन्ना नगर शामिल हैं।
पिछले चुनाव के नतीजे
2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की चेन्नई सेंट्रल लोकसभा सीट से डीएमके के दयानिधि मारन ने 3,01,520 वोटों से जीत दर्ज की थी। पीएमके के एस. आर. सैम पॉल दूसरे नंबर पर रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर AIADMK के एस. आर. विजय ने 45 हजार से ज्यादा वोटों से DMK के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन पर जीत दर्ज की थी। एस. आर. विजय 2014 में पहली बार इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। इससे पहले दयानिधि मारन पिछले दो बार से सीट पर सांसद निर्वाचित हो चुके थे।
सीट का चुनावी इतिहास
चेन्नई सेंट्रल सीट को पहले मद्रास सेंट्रल के नाम से जाना जाता था। चेन्नई सेंट्रल सीट का अस्तित्व 1977 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले आया। इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद यहां 1977 से 2019 के बीच 12 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। यह भारत के सबसे छोटे लोकसभा क्षेत्र में से एक है। तब से अब तक इस सीट पर 8 बार डीएमके, 3 बार कांग्रेस और 2014 में पहली बार AIADMK के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की।
कितनी है जनसंख्या?
2011 की जनगणना के मुताबिक, चेन्नई सेंट्रल संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या 16,31,196 है, जो 100 फीसदी शहरी आबादी है। यहां अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या 17.84 फीसदी और अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 0.29 फीसदी है।
2019 में किसे कितनी मिली सीटें?
बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। सभी सियासी पार्टियां चुनावी प्रचार-प्रसार में जुटी हैं। अप्रैल-मई महीने में लोकसभा चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है। पिछली बार 2019 में भी अप्रैल-मई में ही चुनाव हुए थे। तब बीजेपी के खाते में 303 सीटें और NDA को 353 सीटें मिली थीं। इस तरह नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष को कुल 91 सीटें मिली थीं, जिनमें कांग्रेस के खाते में 52 सीटें आई थीं।