बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के द्वारा एक बार फिर झारखण्ड के अभिमान 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति व इसकी मांग करने वालों के प्रति बेशर्मी से अप शब्दों का प्रयोग किया गया है.. झारखण्ड की जनता इनके बड़बोलेपन को न केवल धरती आभा बिरसा मुंडा, नीलाम्बर – पीताम्बर, गुरूजी, बिनोद बिहारी महतो सरीखे महान नेताओं के अपमान से जोड़ कर देख रहे हैं. झारखण्ड के अभिमान के अपमान के तौर पर अपने दिल पर कुठाराघात के रूप में भी लिया है.
सबसे पहले तो अपने पार्टी हैंडल का नाम बदल झारखंड मुस्लिम मोर्चा करे और दूसरी बात आप सभी 1932 1932 करते रहे और भाजपा आपका 2024 में दिमाग और मन दोनों ठंडा कर देगी।
निशिकांत दुबे झारखण्ड के | अभिमान 1932 को अपमानित करते रहते हैं. लेकिन, इस अपमान कालका शान्तिदश राज्यों की तथा पीडिता का हात में ही अंतर पर बाबूलाल मरांडी, भानुप्रताप शाही सरीखे नेताओं का दिल न कचौटना उनके भीतर झारखंडियत की उपस्थिति पर सवाल उठाती हुं।झारखण्ड जनता का अपने गुमान बीजेपी के सामंतवादी नेता व सांसद बड़े आसानी से झारखण्ड के अभिमान को कुचल देती है. यह तो उनका 20 वर्षों से स्वभाव रहा है. लेकिन, झारखण्ड व यहाँ की महान महापुरुषों की आत्मा तब और कलप जाती होगी जब बाबूलाल मरांडी, भानु प्रताप शाही जैसे बीजेपी नेताओं का दिल झारखण्ड के अपमान पर नहीं कचौटता. ऐसे में गंभीर सवाल है कि क्या मौकापरस्ती के अक्स में इनके भीतर के झारखंडियत की भी मौत हो गयी है?
