रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मौंगी बावेंडी, लुईस ब्रूस और एलेक्सी एकिमोव को सूक्ष्म क्वांटम डॉट्स पर उनके काम के लिए देने की घोषणा की गई है. क्वांटम डॉट्स सूक्ष्म अणु होते हैं. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के अनुसार, इन सूक्ष्म कणों में विशिष्ट गुण होते हैं और अब ये टेलीविजन स्क्रीन और एलईडी लैंप से अपनी रोशनी फैलाते हैं. वे रासायनिक प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं और उनकी स्पष्ट रोशनी एक सर्जन के लिए ट्यूमर ऊत्तक को रोशन कर सकती है. एकेडमी के महासचिव हंस एलेग्रेन ने बुधवार को स्टॉकहोम में पुरस्कार की घोषणा की. नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (10 लाख डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है.
नैनोटेक्नोलॉजी में क्वांटम डॉट्स का बहुत महत्व
रसायन विज्ञान का अध्ययन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति यह सीखता है कि किसी तत्व के गुण इस बात से नियंत्रित होते हैं कि उसमें कितने इलेक्ट्रॉन हैं. हालांकि, जब पदार्थ नैनो-डायमेंशन में सिकुड़ जाता है तो क्वांटम फेनोमेना पैदा होता हैं. ये पदार्थ के आकार से नियंत्रित होते हैं. रसायन विज्ञान 2023 में नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने इतने छोटे कण बनाने में सफलता हासिल की है कि उनके गुण क्वांटम घटना से निर्धारित होते हैं. कण, जिन्हें क्वांटम डॉट्स कहा जाता है, अब नैनोटेक्नोलॉजी में बहुत महत्व रखते हैं.
तीनों वैज्ञानिकों ने क्या किया
रसायन विज्ञान के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष जोहान एक्विस्ट ने कहा कि क्वांटम डॉट्स में कई आकर्षक और असामान्य गुण हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके आकार के आधार पर उनके अलग-अलग रंग होते हैं. 1980 के दशक की शुरुआत में एलेक्सी एकिमोव रंगीन कांच में आकार-निर्भर क्वांटम प्रभाव बनाने में सफल रहे. यह रंग कॉपर क्लोराइड के नैनोकणों से आया और एकिमोव ने प्रदर्शित किया कि कण का आकार क्वांटम प्रभावों के माध्यम से कांच के रंग को प्रभावित करता है. कुछ साल बाद, लुई ब्रूस दुनिया के पहले वैज्ञानिक थे, जिन्होंने किसी तरल पदार्थ में स्वतंत्र रूप से तैरते कणों में आकार-निर्भर क्वांटम प्रभाव साबित किया.