हजारीबाग में एनटीपीसी के लिए हुए भूमि अधिग्रहण मामले के दौरान कथित रूप से हुए तीन हजार करोड़ के भूमि-मुआवजा घोटाला की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने केंद्र सरकार से और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को चार सप्ताह में एफिडेविट के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान ED की ओर से भी पक्ष रखा गया. ED की ओर से अदालत को बताया गया कि केरेडारी थाना में एक FIR दर्ज हुई है. अब अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 19 जून को करेगा. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने मंटू सोनी की याचिका पर सुनवाई की. मंटू सोनी की ओर से अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता और मदन कुमार ने पक्ष रखा.
SIT की रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है
हजारीबाग में भूमि-मुआवजा से संबंधित गड़बड़ियों के सामने आने के बाद वर्ष 2016 में तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार की अनुसंशा पर, राज्य सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की टीम ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट में 3000 करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाले किए जाने और 300 करोड़ मुआवजा बांट दिए जाने की जानकारी दी थी. प्रार्थी के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक और हजारीबाग उपायुक्त को पत्राचार किया गया है. वहीं देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली SIT की रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है. जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट में कई रसूखदारों द्वारा सरकारी गैर मजरुआ खास-आम भूमि,सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली जमीन,श्मशान घाट,स्कूल,मैदान आदि जमीनों का भी फर्जी कागजात बनाकर मुआवजे का बंदरबांट किया गया था.