NIA की रिमांड पर टेरर फंडिंग का मुख्य आरोपी भीखन गंझू, TPC को लेवी देने वाली कंपनियों व लोगों के बारे में जारी है पूछताछ

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टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ब्रांच रांची भीखन गंझू को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है. एनआईए ने भीखन गंझू को पांच दिन की रिमांड पर लिया है औरक पूछताछ कर रही है. पूछताछ के दौरान टीपीसी संगठन को लेवी देने वाले कंपनियों और लोगों के बारे में पूछताछ कर रही है. गौरतलब है कि रांची पुलिस ने बीते 16 मार्च 2022 को गिरफ्तार किया था.

कई मामलों में एनआईए ने भीखन को मोस्ट वांटेड घोषित किया था

चतरा जिला के पिपरवार थाना क्षेत्र में रहने वाला टीपीसी उग्रवादी भीखन गंझू एनआईए की रडार पर था. एनआईए ने भीखन गंझू पर टेरर फंडिंग के मामले में (कांड संख्या आरसी 05/2019/ और आरसी 06/2018) केस दर्ज किया है. बता दें कि मगध आमप्राली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग, उग्रवादी परमेश्वर गंझू के यहां से लेवी राशि की बरामदगी व पूर्णिया आर्म्स रैकेट केस में एनआईए को भीखन की तलाश थी.

सैनिक, रेड्डी, आधुनिक और सुदेश केडिया देते हैं संगठन को लेवी

टीपीसी के जोनल कमांडर भीखन गंझू ने पुलिस को दिये बयान में उन लोगों और कंपनियों के नाम का खुलासा किया था, जो संगठन को लेवी देते हैं. साथ ही भीखन ने पुलिस को यह भी जानकारी दी है कि संगठन का कौन-कौन आदमी लेवी वसूलता है. लेवी की वसूली चतरा के टंडवा, पिपरवार और रांची के खलारी इलाके से की जाती है. संगठन को प्रति माह करोड़ों रूपये लेवी के रूप में मिलते हैं.
अपने स्वीकारोक्ति बयान में भीखन गंझू ने पुलिस को बताया था कि कोयला का कारोबार करने वाली सैनिक कंपनी का मंगल सिंह संगठन को लेवी देता है. इसी तरह रेड्डी कंपनी का शिवा रेड्डी लेवी की रकम संगठन का उपलब्ध कराता है. खलारी निवासी शंकर यादव और लातेहार के बालूमाथ का रहने वाला दिलेश्व खान भी संगठन को लेवी पहुंचाता है.

क्या है पूरा मामला

चतरा के टंडवा थाने में दर्ज प्राथमिकी 22/18 को एनआईए ने टेकओवर करते हुए जांच शुरू की थी. यह मामला सीसीएल, पुलिस, उग्रवादी और शांति समिति के बीच समन्वय को लेकर लेवी वसूली से संबंधित है. एनआईए ने सीसीएल कर्मी सुभान खान सहित 14 आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की थी. चार्जशीट में लिखा था कि टीएसपीसी को लेवी देने के लिए ऊंची दर पर मगध व आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला ढुलाई का ठेका लिया गया था. इसमें टीएसपीसी उग्रवादी आक्रमण जी ने अनुशंसा की थी और ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह को ठेका मिला था. इसमें मिली राशि का बड़ा हिस्सा टीपीसी को जाता था.

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