एसएनएमएमसीएच के एनआईसीयू में अब गंभीर बच्चों को रेफर नहीं किया जाएगा. अस्पताल प्रबंधन मुकम्मल व्यवस्था में जुटा हुआ है. पिछले दिनों एक ही दिन में 3 नवजात की मौत ने अधिकारियों की नींद उड़ा दी थी. इसके बाद अधिकारियों की बैठक में वेंटिलेटर की उपलब्धता पर चर्चा हुई. अस्पताल अधीक्षक डॉ अनिल कुमार ने बताया कि डीएमएफटी से जल्द ही चार वेंटिलेटर अस्पताल को मिल जाएंगे. फिलहाल हजारीबाग से एक वेंटिलेटर मंगाया गया है. वेंटिलेटर मिलने के बाद उसे वापस वहां भेज दिया जाएगा. उपायुक्त ने एसएनएमएमसीएच को चार वेंटिलेटर देने का निर्णय किया है. साथ ही वार्मर की संख्या भी बढाई जाएगी. अभी एनआइसीयू में 12 वार्मर हैं.
डरा रहा नवजातों की मौत का आंकड़ा
एसएनएमएमसीएच के एनआइसीयू में नवजातों की मौत का आंकड़ा डराने वाला है. शिशु रोग विभाग में इस माह 18 दिन में ही 50 नवजातों की मौत हो चुकी है. इन आंकड़ों में 0 से तीन दिन तक की आयु के नवजात शामिल हैं. सबसे अधिक मौत गिरिडीह से आए नवजातों की हुई. अस्पताल रिकॉर्ड के अनुसार 18 दिनों में गिरिडीह के 17, जामताड़ा के 13, धनबाद के 13, दुमका के 4 और बोकारो, देवघर व आसनसोल के एक-एक बच्चे की मौत शिशु रोग विभाग में हो चुकी है. डॉक्टर बताते हैं कि जन्म के तुरंत बाद नवजात के नहीं रोने व प्री-मेच्योर बच्चों की मौत का आंकड़ा सबसे अधिक है. नवजात की मौत का कारण अस्पताल के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में पर्याप्त संसाधन का नहीं होना भी है. यह हाल तब है, जब शिशु म़ृत्यु दर को कम करने का प्रयास सरकार कर रही है और इसके लिए कई योजनाएं भी चल रही हैं.