चिरकुंडा के अग्रसेन भवन में आयोजित सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान कथा के सातवें दिन शनिवार 23 सितंबर को कथावाचक गौरव कृष्ण पाठक जी महाराज ने कहा कि माता-पिता के सपनों को साकार कर राष्ट्र का अच्छा नागरिक बनने का प्रयास करना चाहिए. जीवन में दुख-सुख का मुख्य कारण हमारे द्वारा किए गये पाप-पुण्य हैं. पाप की अधिकता संकट का आमंत्रण है. जबकि दूसरों की सहायता दुख को काटने वाला अस्त्र है. उन्होंने कहा कि जीवन में जब तक व्यक्ति भयमुक्त नहीं होता, तब तक उसे शांति नहीं मिलती है. भय पर विजय प्राप्त करने के लिए नारायण की उपासना सबसे श्रेष्ठ मानी गयी है. हमारा जग में आना और जग से जाना दोनों गौरवपूर्ण होना चाहिए. कहा कि घर में बंटवारा हो, लेकिन सम्पत्ति का नहीं बल्कि विपत्ति का बंटवारा हो, तभी राम राज्य की स्थापना होगी.
कथा को सफल बनाने में संदीप निगानिया, महेन्द्र निगानिया, अनील निगानिया, शंकर निगानिया, बिल्लू निगानिया, शंभु निगानिया, श्याम निगानिया, सुशील निगानिया, प्रवीण निगानिया, विनोद निगानिया व अन्य का सराहनीय योगदान रहा है.