रांची के  विधायक सी. पी. सिंह अपने बुढ़ापे में भी नफ़रत और ज़हरीली सोच को काबू में नहीं रख पा रहे हैं। तनवीर अहमद

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रांची के  विधायक सी. पी. सिंह अपने बुढ़ापे में भी नफ़रत और ज़हरीली सोच को काबू में नहीं रख पा रहे हैं। राजनीति में पूरी तरह हाशिये पर चले जाने के बाद अब उनके पास सिर्फ़ एक ही हथियार बचा है, सांप्रदायिक ज़हर उगलना और हिन्दू–मुस्लिम का झूठा कार्ड खेलना। अपनी राजनीतिक नाकामी को छुपाने के लिए नफ़रत और ज़हर उगलने का नया-नया खेल खेल रहे हैं। सत्ता से बाहर हो चुके, जनता की नज़रों से गिर चुके और मुद्दों से कंगाल हो चुके इस नेता के पास अब सिर्फ़ एक ही “राजनीतिक धंधा” बचा है,
हिन्दू–मुस्लिम का झूठा कार्ड।

कभी ट्रैफ़िक चालान को धर्म से जोड़कर बेशर्मी दिखाई, ट्रैफ़िक चालान को सांप्रदायिक चश्मे से देखने की बकवास करते  रहे हैं, तो अब अतिक्रमण ड्राइव पर बेहूदा बयान देकर समाज में ज़हर घोलने की घटिया कोशिश की है। यह व्यक्ति अपनी घृणित सोच का नंगा नाच कर रहा है। उन्होंने ने कल एक मनगढंत और झूठा आरोप  लगाया है कि सरकार सिर्फ़ हिन्दू इलाक़ों में अतिक्रमण की कार्रवाई रही है और मुस्लिम इलाक़ों को छोड़ दे रही है है, यह पूरी तरह बकवास और झूठ है। दरअसल, यह उनकी सांप्रदायिक सोच, गंदी मानसिकता और हताशा का नतीजा है। यह ब्यान सिर्फ़ एक  निराश और मानसिक तौर पर कंगाल नेता की बड़बड़ाहट है।

मेरा मानना है की सी. पी. सिंह जैसे पुराने और खारिज हो चुके नेता जब जनता के बीच काम और मुद्दों पर बात करने की स्थिति में नहीं रहते, तो वे नफ़रत फैलाकर, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर अपने लिए सुर्ख़ियाँ बटोरने की कोशिश करते हैं। लेकिन झारखंड की जनता अब इनकी असलियत को जान चुकी है।
आज लोगों को रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और महंगाई से राहत चाहिए, और सी. पी. सिंह अभी भी अपनी गंदी सोच से हिन्दू–मुस्लिम की खाई खोदने में लगे हैं। मुझे लगता है की अब सी. पी. सिंह जी अपनी राजनीति की चिता को सांप्रदायिक आग से जलाने में लगे हैं। ऐसे बयान न सिर्फ़ शर्मनाक हैं बल्कि यह साबित करते हैं कि सी. पी. सिंह जैसे नेता अब लोकतंत्र के लिए बोझ बन चुके हैं।

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