गरीबी मजबूरी और लाचारी क्या होती है अगर जानना है तो सहदेव राम से पूछिए जो आवास के अभाव में अपना सिर शौचालय में छुपा रहा है. सुनने में तो अजीब जरूर लग रहा है लेकिन यह सच्चाई है. दरअसल हजारीबाग जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर दारू प्रखंड के मेडकुरी पंचायत के जमुवा में सहदेव राम स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय में पिछले 6 सालों से रह रहा है. सिस्टम को इस बात का जानकारी भी नहीं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को हजारीबाग जिले में सरकार नहीं किया जा रहा है. ना ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अबुआ आवास योजना बनाया है. उसका भी लाभ नहीं मिल रहा है. एक ओर इन दिनों आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाया जा रहा है. ताकि कोई भी वैसा लाभुक नहीं छूटे जो योजना का हकदार है.
वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार विकसित भारत संकल्प यात्रा निकली हुई है. जिसमें केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है. लेकिन यह सिस्टम की ही बेरुखी है कि सहदेव राम शौचालय में रहने को विवश है. शौचालय में ही उसका रसोई घर भी है साथ ही एक चादर बिछा कर वह यहीं पर अपनी रातें भी गुजारता है. किस्मत, गरीबी और बेबसी का मारा जमुवा निवासी सहदेव राम पिता स्वर्गीय दहन राम अपनी किस्मत को कोसते हुए अपनी बेबसी बताते हैं कि उसका मिट्टी का घर था. जिसमें अपनी बीबी बच्चों के साथ वह मेहनत मजदूरी करके हंसी ख़ुशी रह रहा था. पर मिट्टी का घर जर्जर होने के बाद गिर गया. जिस कारण उसके परिवार को रहने में परेशानी होने लगी. यहां रहने का कोइ और साधन नहीं होने के कारण उसकी पत्नी एवं बच्चों को लेकर अपने मैके ढाढा देवकुली इचाक चली गई. तब से वह इसी शौचालय में रह रहा है.
