प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) ने साहिबगंज के एसपी नौशाद आलम को शुक्रवार को समन भेजा है, ईडी ने नौशाद आलम को समन भेजकर आगामी 22 नवंबर को ईडी के रांची जोनल ऑफिस में उपस्थित होने को कहा है. ईडी की जांच में नौशाद आलम को अवैध खनन मामले में गवाह विजय हांसदा को ईडी का विरोधी बनाने में शामिल पाया गया है. ईडी का महत्वपूर्ण गवाह विजय हांसदा बीते 12 को कोर्ट में अपने पूर्व के बयान से मुकर गया था. विजय हांसदा बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक गवाही देने कोर्ट आ धमका था, जबकि ईडी ने उसको गवाही के लिए समन भी नहीं किया था. मामले की सुनवाई ईडी के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में चल रही है. हालांकि विजय हांसदा की गवाही भी पूरी नहीं हो सकी थी. इससे पूर्व मामले में दो की गवाही दर्ज की जा चुकी है.
बता दें कि 1000 करोड़ रुपये के अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा के साथ ही प्रेम प्रकाश, बच्चू यादव, पशुपति यादव व कृष्णा साहा ट्रायल फेस कर रहे हैं. पंकज मिश्रा बीते 19 जुलाई 2022 से जेल में बंद है. इसी मामले में विजय हांसदा ईडी का महत्वपूर्ण गवाह है.
कौन है विजय हांसदा
विजय हांसदा ने ही साल 2022 में नींबू पहाड़ी पर अवैध खनन की शिकायत की थी. कोर्ट में शिकायतवाद में उसने बरहेट विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा समेत अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत की थी. मामले में दिसंबर 2022 में केस दर्ज किया था. वहीं आर्म्स एक्ट के एक केस में जेल जाने के बाद विजय हांसदा ने अवैध खनन की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका डाली थी. हालांकि उसने बाद में याचिका वापस लेने के लिए एक और पिटीशन डाल दिया था. वहीं ईडी के ही दो गवाहों के खिलाफ उसने नामजद प्राथमिकी दायर करा दी थी. इसी केस में 164 के तहत बयान में ईडी के अधिकारी पर भी जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप विजय ने लगाया था. जानकारी के अनुसार, विजय हांसदा बचाव पक्ष के कहने पर गवाही देने पहुंचा था, जबकि ईडी ने गवाही कराने के लिए राजमहल के सब-रजिस्ट्रार को बुला रखा था. सब-रजिस्ट्रार गवाही बॉक्स में चढ़ते, उससे पहले ही अचानक विजय हांसदा गवाही देने आ गया.कोर्ट के निर्देश पर हांसदा की गवाही शुरू हुई. इससे ईडी के वकील की परेशानी बढ़ गई. क्योंकि ईडी ने गवाह सब-रजिस्ट्रार को तैयार कर रखा था. गवाही के दौरान विजय हांसदा ने पलटी मार दी, जिसके आधार पर ईडी ने केस दर्ज किया है.वह अदालत में गवाही के दौरान अपने बयान से मुकर गया. इसके बाद सब-रजिस्ट्रार को लौटना पड़ा था.
