विकल्प जब सामने होता है तभी आत्मसम्मान को ठेस पहुंचता है

jharkhand News न्यूज़
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झारखण्ड की राजनीत का पारा चढ़ा हुआ है जबसे पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की चिट्ठी सामने आई है और उन्होंने अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जेएमएम का नाम हटा दिया है I चंपई सोरेन ने चिट्ठी जारी कर कहा कि उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा है I जिस तरीके से उन्हें आपधापी में कुर्सी से हटा दिया गया , उनके द्वारा तय किए गए कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया I उन्होंने कहा कि वे अपमानित महसूस कर रहे है , उन्होंने अपनी सारी जिंदगी पार्टी के लिए न्यौछावर कर दी और इसके बदले उन्हें इसका यह फल मिला , अब उनके सामने सिर्फ तीन ही रास्ते बचे है , या तो वे राजनीत से सन्यास ले ले , या अपनी पार्टी का गठन करे या फिर राजनीत के किसी साथी का हाथ पकड़कर आगे चले I यहां किसी साथी से मतलब सीधे सीधे भाजपा की ओर ही इशारा है , क्योंकि जब से चंपई सोरेन मुख्यमंत्री पद से हटाए गए है तब से ही लगातार भाजपा की सहानुभूति उनके प्रति साफ साफ दिख रही है I इतना ही नहीं यह सांठ गांठ चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री बने रहने के दौरान से ही दिखने लगी थी जिसे बन्ना गुप्ता ने भी कहा है कि भाजपा द्वारा कानून बदलने वाली योजना को प्रत्येक अखबार के प्रमुख पन्नों में अपनी फोटो के साथ छपवाकर प्रचार प्रसार में लगे थे तब वे कौन सा गठबंधन का धर्म निभा रहे थे I मंत्री बन्ना गुप्ता ने उन्हें सत्ता का लोभी , विभीषण तक कहा है , उन्होंने कहा कि उन्हें अनुकंपा पर मिली कुर्सी से इतना मोह हो गया था , जब मुख्यमंत्री जेल जा रहे थे तो उन्होंने सभी गठबंधन के नेताओ से जाते जाते कहा कि चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री का पद दिया जाए I और जब राम वनवास से लौटे थे तो उनके भाई ने भी तो उन्हे राज्य का सिंहासन पर फिर से बैठने का आग्रह किया था , इन्होंने क्या किया , जिस पार्टी ने इन्हे पहचान दी एक अदने से इंसान को जमशेदपुर से लाकर जमीन से शिखर तक पहुंचा दिया उसका बदला उन्होंने क्या दिया I मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि वे सिर्फ झूठी सहानुभूति लेना चाहते है I

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहीं ने कहीं पहले अपनी राजनीत की जमीन को सेट कर लिया था इसलिए अब उन्हे अपमानित महसूस होने लगा है क्योंकि जब रास्ते खुल जाते है दूसरा ऑप्शन दिखने लगता है तभी बगावत भी उमड़ने लगता है और असल चेहरा दिखने लगता है I जैसे कि कोई शख्स किसी कंपनी में काम तभी छोड़ता है या अपनी कंपनी में खोट और बुराई तभी निकालता है जब सामने से किसी दूसरे कंपनी से बड़ा ऑफर मिलता है , जब तक यह ऑफर नहीं मिलता तब तक उसे अपनी कंपनी सबसे अच्छा सबसे प्यारा लगता है , ठीक इसी तरह चंपई सोरेन ने भी पहले अपना विकल्प तलाश लिया है तभी उन्हें अब अपमान महसूस होने लगा है क्योंकि अगर अपमानित होने की बात होती तो इतना समय नहीं लगता I तीन विकल्प वे भले बता रहे है लेकिन साथी वाला विकल्प ही फिलहाल सच दिख रहा है जिसे वे सीधे सीधे नही बताकर भ्रम फैलाकर बता रहे है ताकी भाजपा में जाने की बात अगर डायरेक्ट सामने आ गई तो जनता के बीच फजीहत हो जायेगी

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