रांची। एक बार फिर से झारखंड के साथ वही हो रहा है, जो 2019 के लोकसभा चुनाव के समय देखा गया था। भाजपा एक बार फिर से झारखंड में योजनाओं की शुरूआत कर विकास का दंभ रही है। पिछले कुछ माह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह राज्य में केंद्र प्रायोजित योजनाओं को हरी झंडी दिखायी, वह केवल लोक सभा चुनाव को ध्यान में रख कर किया है। होना तो यह चाहिए था कि 29 दिसंबर 2019 को जब भाजपा नेतृत्व वाली रघुवर सरकार को सत्ता से हटाकर जनता के सपने और किए वादों को पूरा करने के लिए हेमंत सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली, उस समय से ही केंद्र झारखंड में योजना देने की प्रक्रिया जारी रख जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोरोना काल में किस तरह केंद्र ने झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया, वह किसी से छिपा नहीं है।
जानिए, उन मुद्दों को जिससे झारखंड के साथ मोदी सरकार कर रही सौतेला व्यवहार।
चुनाव के ठीक पहले झारखंड को योजनाओं की सौगात देने की भाजपा की रणनीति कोई नई नहीं है। 2019 के पहले भी “आयुष्मान भारत योजना”, ,किसान मन-धन योजना, की शुरूआत की गयी। दूसरी तरफ हेमंत सरकार झारखंड की जनता को मोदी सरकार की सच्चाई बताने को प्रयासरत हैं। मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि केंद्र सरकार झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। गरीबों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी केंद्र भेदभाव कर रहा है।
- झारखंड को भारतीय खाघ निगम (एफसीआई) से अनाज नहीं दिया जा रहा है। राज्य की जनता को परेशानी नहीं हो, इसलिए हेमंत सरकार बाजार से अधिक मूल्य पर अनाज खरीदकर गरीबों के बीच राज्य सरकार बांट रही है।
- जनजातियों के वर्षों से लंबित मांग सरना धर्म कोड प्रस्ताव हेमंत सरकार ने विधानसभा से पारित केंद्र सरकार को भेजा, जिसे भाजपा ने ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
- स्थानीय नीति लागू की गई तो भाजपा ने एक साजिश के तहत इसपर भी कोर्ट में केस कर दिया।
- झारखंड के स्वास्थ्य,ग्रामीण सड़क,मनरेगा, अनाज बंटवारा, सेस के रूप में जमा राशि और जीएसटी में हिस्सेदारी को केंद्र की सरकार द्वारा रोककर रखा गया है।
- झारखंड की चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार को कथित तौर पर गिराने की हरसंभव कोशिश की गई।
हेमंत की बढ़ती लोकप्रियता से केंद्र को वाकिफ करा चुके हैं झारखंड भाजपा नेता।
भाजपा नेताओं के मुताबिक पीएम मोदी ने झारखंड को हजारों करोड़ रुपए की सौगात दे विकास का दंभ भरा। मोदी सरकार का यह पूरी योजनाएं 2024 को टारगेट है। लेकिन दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा नेता अपने आलाकमान को हेमंत सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से वाकिफ करा चुके हैं। संभवत: वे बता चुके हैं कि राज्य के आदिवासी, दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग के हित में पिछले तीन साल से हेमंत सरकार ने जितने निर्णय लिए, वह दोबारा उन्हें सत्ता मे लाने के लिए काफी है।
साढ़े तीन साल में हेमंत सरकार की कुछ महत्वपूर्ण पहल।
अपने साढ़े तीन सालों के कार्यकाल में हेमंत सरकार ने झारखंड की जनता के हित में ऐसे अहम फैसले लिए हैं, जो राज्य गठन के बाद शायद ही किसी सरकार ने लिया हो।
- 1932 के खतियान आधारित विधेयक को सदन से पास कराना।
- ओबीसी-एसटी-एससी आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव।
- सरना धर्मकोड को पहली बार विधानसभा से पारित कराकर केंद्र को भेजना।
- बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग के लोगों को यूनिवर्सल पेंशन स्कीम का लाभ दिलाना।
- उच्च शिक्षा के लिए पहली बार एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को विदेश भेजने की योजना।
- जनता तक पहुंचने के लिए आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार’ को लांच किया, पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर समस्याओं का हल निकाला।
- राज्य में पहली बार ‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन। मुख्यमंत्री ने घोषणा कर कहा कि झारखंड अधिवक्ता संघ कल्याण कोष में जितनी पेंशन की राशि वेलफेयर ट्रस्ट प्रदान करेगा उसके बराबर की राशि राज्य सरकार भी उस कोष में योगदान स्वरूप देगी।
- ‘स्कूल आफ एक्सीलेंस’ योजना लाकर सरकारी स्कूल के शिक्षा व्यवस्था में किया क्रांतिकारी बदलाव।
- पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविकाओं की समस्या का निदान किया गया।
देखा जाए, तो उपरोक्त सभी पहल झारखंड की जनता को सीधे-सीधे प्रभावित करती है.
मोदी सरकार की सारी योजनाएं 2024 चुनाव को लेकर टारगेट।
वहीं, मोदी सरकार ने पिछले कुछ माह में जितनी योजनाओं को लांच किया, सभी 2024 के लोकसभा चुनाव को टारगेट है।
मार्च 2023 – झारखंड को 1579 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात दी।
जुलाई 2023 – झारखंड को 16000 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात।
जुलाई 2023 – झारखंड के किसानों को 1607 किसान समृद्धि केंद्र देना।
अगस्त 2023 – अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत हटिया व पिस्का स्टेशन को विकसित करने की घोषणा।